ऑपरेशन चक्र -2’ के तहत, केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में बेंगलुरु, कोचिन और गुरुग्राम में तलाशी ली थी। बता दे कि सीबीआई अंतराष्ट्रीय स्तर पर ऑपरेशन चक्र-2 चला रही है। सीबीआई ने ये कार्रवाई विदेशी जांच एजेंसियों के सहयोग से किया है।
Himachal News: भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे साइबर अपराध नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ऑपरेशन चक्र- 2 शुरू किया है। इस ऑपरेशन के तहत अब तक एजेंसी 76 अलग-अलग ठिकानों पर कार्रवाई कर चुकी है। बता दे कि ये कार्रवाई देश के अलग-अलग राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर की गई है, जिसके तहत अब तक सीबीआई ने कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, सिम कार्ड और पेन ड्राइव्स जब्त की हैं। इस ऑपरेशन का उद्देश्य भारत में साइबर से जुड़े अपराधों के बुनियादी ढांचे का नष्ट करना है। यह ऑपरेशन प्राइवेट क्षेत्र के दिग्गज एजेंसियों के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से चलाया गया।
चलाए जा रहे थे फर्जी कॉल सेंटर…
ऑपरेशन चक्र-2 के तहत अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी के 2 बड़े घोटाले का पता चला है। इन मामलों में आरोपियों ने एक वैश्विक आईटी प्रमुख और एक ऑनलाइन प्रौद्योगिकी-संचालित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की मदद से देश के लोगों संग ठगी कर रहे थे। इसमें 5 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नौ फर्जी कॉल सेंटर चला कर ठगी की जा रही थी। जांच में पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय गिरोह तकनीकी सहायता प्रतिनिधियों के रूप में अपनी पहचान छिपाकर विदेशी नागरिकों को अपना शिकार बनाते थे।
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन चक्र-2…
सीबीआई ने इस योजना की जानकारी देते हुए कहा कि फर्जी क्रिप्टो माइनिंग ऑपरेशन की आड़ में बिना सोचे-समझे भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप कई लगभग 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ.केंद्रीय एजेंसी ने आगे कहा कि अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट की शिकायत पर दो मामले दर्ज किए गए थे। शिकायतें थीं कि आरोपी कॉल सेंटर चलाते थे और विदेशी नागरिकों को लक्षित करने के लिए कंपनियों के तकनीकी समर्थन के रूप में सामने आते थे।
Read more: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाई रैपिडेक्स रेल को हरी झंडी
Amazon और Microsoft के नाम पर हुई ठगी…
इसके अलावा दो केस Amazon और Microsoft की शिकायत पर दर्ज हुए थे. दोनों का कहना था कि जालसाज ने कॉल सेंटर्स खोले और खुद को इन कंपनियों का टेक्निकल सपोर्ट बताया और लोगों को ठगा. अब सीबीआई ने 9 कॉल सेंटर्स की जांच की है।
सीबीआई इस केस में अमेरिका की एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI), इंटरपोल आदि की मदद भी ले रही है। इसके साथ ही ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (NCA), सिंगापुर पुलिस फोर्स, जर्मनी की BKA भी सीबीआई की मदद कर रही है।
क्या था ऑपरेशन चक्र?
सीबीआई ने इससे पहले अक्टूबर माह में ही ऑपरेशन चक्र चलाया था। जो 2022 में मारी गई सबसे बड़ी रेड में से एक था। इस ऑपरेशन के तहत सीबीआई इंटरपोल, एफबीआई, रॉयल कैनेडियन माउंटेन पुलिस और ऑस्ट्रेलियन फेडरल एजेंसी से साइबर क्राइम से जुड़े इनपुट मिले थे। जिसके बाद सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र चलाया था। इस ऑपरेशन के तहत कुल मिलाकर 105 जगहों की तलाशी ली गई थी. इनमें से 87 जगहों पर सीबीआई ने तो वहीं 27 जगहों पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस द्वारा रेड मारी गई थी। इस देशव्यापी सेड में 300 से ज्यादा संदिग्ध जांच के दायरे में आए थे।
खंगाली जा रही अपराथ की कुंडली…
ऑपरेशन चक्र- 2 के दौरान एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही इस ठगी को खत्म करने के लिए एजेंसी ने आरोपी कंपनियों, शेल कंपनियों और पहचाने गए लोगों के अपराध की कुंडली को खंगाल रही है। साथ ही उनके अपराध से जुड़े आंकड़ों को इकट्ठा करके सहायक विभाग और मंत्रालय को सूचित किया जा रहा है।
पार्ट टाइम नौकरी और अन्य सुविधाओं का देते हैं झांसा…
सीबीआई के मुताबिक, अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफार्म और उसके प्रचार पोर्टल का इस्तेमाल कर इनक्रिप्टेड चैट सामग्री और एसएमएस से लोगों को लालच देते हैं। इसमें पोंजी स्कीम और मार्केटिंग के जरिये पार्ट टाइम नौकरी और अन्य सुविधाओं का झांसा दिया जाता है। इसके लिए फिंशिंग, विशिंग, स्मीशिंग जैसे तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। कई स्तर पर तैयार की गई जटिल यूपीआई तकनीक से पैसे का लेनदेन करते हैं।
कैसे केस जाता है सीबीआई के पास…
CBI यानी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की शुरुआत सरकारी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को रोकने के लिए हुई थी. साल 1941 में इसकी स्थापना स्पेशल पुलिस स्टेब्लिशमेंट के तौर पर हुई थी। इसके बाद हर तरह के पेचीदा केस इस एजेंसी को दिए जाना शुरू हुए। साल 1965 में सीबीआई को कई तरह के मामलों की जांच के अधिकार दिए गए। जांच एजेंसी को इंटरपोल के साथ सीधी बातचीत का अधिकार भी है लेकिन यदि इंटरपोल को किसी अंतरराष्ट्रीय क्राइम की जांच करनी है तो उसे सीबीआई से संपर्क करना होगा।