Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि सात फेरों और अन्य रीतियों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं है। आपको बता दे कि हाईकोर्ट ने एक शिकायती मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सप्तपदी (सात फेरे) हिंदू विवाह का अनिवार्य घटक है और रीति रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह को ही कानून की नज़र में वैध विवाह माना जा सकता है। लेकिन हाईकोर्ट ने एक शिकायती मामले की पूरी कार्यवाही रद्द कर दी जिसमें पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने तलाक लिए बगैर दूसरी शादी कर ली, इसलिए उसे दंड मिलना चाहिए।स्मृति सिंह नाम की महिला की याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा, ‘यह स्थापित नियम है कि जब तक उचित ढंग से विवाह संपन्न नहीं किया जाता, वह विवाह संपन्न नहीं माना जाता।
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2022 के मामले की हो रही सुनवाई ..
21 अप्रैल, 2022 के समन आदेश और याचिकाकर्ता पत्नी के खिलाफ मिर्ज़ापुर अदालत के समक्ष लंबित शिकायत मामले की आगे की कार्यवाही को रद्द करते हुए, अदालत ने कहा, ‘यहां तक कि शिकायत में सप्तपदी के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए इस अदालत के विचार से आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई अपराध का मामला नहीं बनता क्योंकि दूसरे विवाह का आरोप निराधार है।
हाईकोर्ट ने कहा कि..
अगर शादी वैध नहीं है तो कानून की नजर में वह विवाह नहीं है। हिंदू कानून के तहत सप्तपदी, एक वैध विवाह का आवश्यक घटक है, लेकिन मौजूदा मामले में इस सबूत की कमी है। वहीं हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा सात को आधार बनाया है जिसके मुताबिक, एक हिंदू विवाह पूरे रीति रिवाज से होना चाहिए। जिसमें सप्तपदी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर दूल्हा और दुल्हन द्वारा अग्नि के 7 फेरे लेना उस विवाह को पूर्ण बनाता है।
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पत्नी पर दूसरा विवाह करने का आरोप..
बताया जा रहा है कि, याचिकाकर्ता स्मृति सिंह का विवाह 2017 में सत्यम सिंह नाम के एक व्यक्ति से हुआ था। लेकिन मनमुटाव के चलते स्मृति अपना ससुराल छोड़कर चली गई और दहेज के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई, जिसके जांच के बाद पुलिस ने पति और सास-ससुर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया, बाद में पति ने पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास एक प्रार्थना पत्र देकर अपनी पत्नी पर दूसरा विवाह करने का आरोप लगाया।