Jammu Kashmir: कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है। इसकी सुंदरता को देखकर हर कोई मोहित हो जाता है। आज के समय वहां की शांति को देखकर लोग कश्मीर घूमने के लिए आते है, लेकिन 17 अगस्त 1947 के बाद पहली बार, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के टीटवाल गांव में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास शारदा देवी मंदिर में नवरात्रि पूजा आयोजित की गई।
आजादी के बाद हुई पहली बार पूजा
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के टीटवाल गांव में सोमवार को पहली बार शारदा माता की पूजा का आयोजन किया गया था। कश्मीर में आयोजित की गई। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में देश भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री शामिल हुए थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आजादी के बाद पहली बार नवरात्रि में इस मंदिर में मां शारदा की पूजा की गई है। वहीं 18 शक्ति पीठों में से यह मंदिर भी शामिल है। जिससे कश्मीर में तीर्थयात्री की संख्या हद से ज्यादा बढ़ सकती है।
18 महा शक्ति पीठों में से एक है शारदा मां का मंदिर..
कश्मीर में स्थित मां शारदा का मंदिर 18 महा शक्ति पीठों में से एक है। दरअसल आपको जानकर हैरानी होगी कि जम्मू-कश्मीर में भारत के बहुत से एतिहासिक मंदिर का निर्माण किया गया था, लेकिन अब यहां पर मंदिर के नाम पर बस खंडहर ही बचे है। क्योंकि कट्टर पंन के कारण यहां के मंदिरों को तबाह कर दिया गाया, लेकिन आज के समय कश्मीर के मंदिरों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है,और आज हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, जो मां शारदा की है जिन्हें विद्या की देवी और सरस्वती के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मंदिर का निर्माण मूल रूप से पांडवों द्वारा अपने निर्वासन के दौरान किया गया था।