राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के एक मेजर की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने 31 अक्टूबर को बताया- हाई लेवल जांच में मेजर को राष्ट्रीय सुरक्षा मानदंड के उल्लंघन का दोषी पाया गया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) यूनिट में तैनात भारतीय सेना के एक मेजर को ड्यूटी से मुक्त कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) यूनिट में तैनात भारतीय सेना के एक मेजर को ड्यूटी से मुक्त कर दिया है। जानकारी के मुताबिक सेना ने मार्च 2022 में मेजर की गतिविधियों की जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया था कि यह मेजर ऐसी गलतियों का दोषी है, जिसकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ।
कैसे सामने आया मेजर का नाम?
राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौते के आरोप झेल रहे मेजर की जांच के लिए एक बोर्ड बनाया गया था। स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड ने अधिकारियों के बोर्ड को मेजर की संभावित संलिप्तता के बारे में प्रारंभिक जांच करने के लिए अधिकृत किया था। इसके साथ ही किसी भी संदिग्ध लेनदेन और जासूसी को लेकर आरोपी मेजर जांच की जा रही थी।
राष्ट्रपति की शक्तियां…
राष्ट्रपति की पावर को समझने के लिए आपका यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है। वह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। वह संसद की मंजूरी के साथ युद्ध की घोषणा कर सकता है और युद्ध विराम के ऐलान की ताकत रखता है। अनुच्छेद 53 स्पष्ट रूप से कहता है कि राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर है। राष्ट्रपति के पास अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने और सजा को कम करने की शक्ति है। सेना अधिनियम, 1950 के तहत राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है, इस मामले में भी जांच पूरी होने के बाद लगभग एक सप्ताह पहले मेजर की सेवाओं को समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए गए थे।
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वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े थे कई अधिकारी…
मेजर के फोन में कई ऐसी चीजें मिली हैं, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। नेशनल सेफ्टी प्रोटोकॉल के संभावित उल्लंघन को लेकर एक ब्रिगेडियर-रैंक अधिकारी सहित करीब 18 रक्षाकर्मियों की अलग से जांच की जा रही है। ये सभी ‘पटियाला पेग’ नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप का हिस्सा थे। इस वॉट्सऐप ग्रुप में मेजर भी शामिल थे। इन अधिकारियों के खिलाफ भी सेना अगले कुछ हफ्तों में अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर सकती है।
ब्रिगेडियर और लेफ्टिनेंट कर्नल पर भी जांच की आंच…
जहां एक और मेजर को दोषी पाए जाने पर बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर सेना ने एक ब्रिगेडियर और एक लेफ्टिनेंट कर्नल को सोशल मीडिया नीतियों के उल्लंघन और एक व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।