Navratri 2023 Date: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो रही है। नवरात्रि में 9 दिन तक देवी मां के अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। साथ ही यह त्योहार मां दुर्गा को समर्पित होता है, और हर नवरात्रि में दुर्गा मां का विधिवत तरीके से पूजा -पाठ किया जाता है। साथ ही अहम वक्त पर पूजा-पाठ में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए जरूरी सामग्री को आप अभी से नोट नोट कर लें।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में कलश स्थापना का सबसे अलग महत्व होता है। सही मुहूर्त पर कलश स्थापना करने से घर में सुख समध्दि बनी रहती है। कलश स्थापना करने का सही मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं। ऐसे कलश को ब्रह्मांड के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया जाता है, जिसके केंद्र में सभी देवी देवता होती हैं। कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंड में रूद्र और मूल भाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं।
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पूजा सामग्री
माता रानी की पूजा में शंख, सिंदूर, रोली, मौली, कपूर, धूप, लाल पुष्प या पुष्पहार, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ पटरा, आसन, चौकी, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, कमलगट्टा, नैवेद्य, बताशा, मधु, शक्कर, नारियल, गंगाजल आदि चीजों की आवश्यकता पड़ती है। नवरात्रि में इन सभी सामग्री की आवश्यकता पड़ती है।
माता का श्रृगार
नवरात्रि के दिन में माता रानी को श्रृगार अर्पित किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवरात्र के दिनों में माता रानी को 16 श्रृगार अर्पित करके घर में सुख समृध्दि बनी रहती है। माता रानी को अर्पित होने वाली इन श्रृंगार की सामग्री में लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, चोटी, माला, पायल, नेलपॉलिश, लिपस्टिक, कान की बाली और नाक की नथ हैं।
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हवन सामग्री
नवरात्रि में हवन करना सबसे शुभ माना जाता है। हवन करने से घर का वातावरण पवित्र रहता है। हवन के लिए आपको हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, कुमकुम, अक्षत, जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर और हवन में चढ़ाने के लिए भोग की इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के दिन सबसे पहले पूजा स्थान और मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर इसके बाद दुर्गा मां को लाल सिंदूर, गुड़हल का फुल, चावल का अक्षत आदि अर्पित किया जाता है। साथ ही भोग लगाने के लिए माता को फल और मिठाई अर्पित करना चाहिए। अब आप घूप बंती दिखाने के साथ माता रानी का पाठ जरूर करना चाहिए ,क्यों कि इसे माता रानी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं। माता रानी की पूजा के बाद अंत में आरती जरूर करना चाहिए।