लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
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वीरेंद्र सिंह मस्त का जानें शिक्षा और करियर
वीरेंद्र सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1956 में दोकाटी नामक गांव में हुआ था, जो उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में स्थित है। वीरेंद्र सिंह के पिता का नाम रामनाथ सिंह और माता का नाम द्रौपदी सिंह हैं। उन्होंने 19 जून 1981 को रेनू सिंह से शादी की। वीरेंद्र सिंह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से कला स्नातक (बीए) पूरा किया। आपको बता दें कि वीरेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और उन्होंने बलिया (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 2019 का भारतीय आम चुनाव जीता है।
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वह भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में किसानों और ग्रामीणों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए “गाँव चलो अभियान” शुरू किया। 1988 में जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा रहे और बाद में उनकी भूमिका जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी (बी.जे.पी.) में रूपांतरित हुई।
उन्होंने पहली बार 1996 के लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन सपा की फूलन देवी ने उन्हें हरा दिया। हालाँकि, उन्होंने 1998 में मिर्जापुर निर्वाचन क्षेत्र में अपनी पूर्व प्रतिद्वंद्वी फूलन देवी को हराकर आगामी चुनाव जीता। वीरेंद्र सिंह ग्रामीण खेलों को विशेष रूप से युवाओं के बीच चरित्र को विकसित करने की दृष्टि से कुश्ती को बढ़ावा देते हैं।
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जानें राजनीतिक करियर
- 1988-1989: जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा
- 1989-1992: जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
- 1991: 10वीं लोकसभा के लिए चुने गए
- 1996-98: प्रदेश अध्यक्ष, किसान मोर्चा (भाजपा)
- 1998: 12वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल)
- 2000-2004: राज्य संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच
- मई, 2014: 16वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित (तीसरा कार्यकाल)
- मई, 2019: 17वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित (चौथा कार्यकाल)
- 1 सितंबर 2014 से आगे: सदस्य, पटल पर रखे गए पत्रों संबंधी समिति, सदस्य, कृषि संबंधी स्थायी समिति, सदस्य, सलाहकार समिति, रसायन और उर्वरक मंत्रालय
- बलिया (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 2019 का भारतीय आम चुनाव जीता है और वे भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
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राजनीतिक घटनाक्रम
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- 2019- वीरेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और उन्होंने बलिया (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 2019 का भारतीय आम चुनाव जीता है । वे भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
- 2014 – वे तालिका पत्र संबंधी समिति , कृषि संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति और रसायन और उर्वरक मंत्रालय की सदस्य समिति के सदस्य बने।
- 2014 – वे भदोही निर्वाचन क्षेत्र के सांसद के रूप में राकेश धर त्रिपाठी को 1,58,039 मतों के अंतर से हराकर 16 वें लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए।
- 1999 – वे एक बार फिर मिर्जापुर सीट से फूलन देवी से हार गए, जिन्होंने 84,476 मतों के अंतर से जीत हासिल की।
- 1998 – उन्होंने 12 वीं लोकसभा चुनाव जीता जहां उन्होंने 52,777 मतों के अंतर से फूलन देवी को सफलतापूर्वक हराया।
- 1996 – उन्होंने मिर्जापुर निर्वाचन क्षेत्र में 11 वीं लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। उन्हें सपा की फूलन देवी ने हराया जो 37,046 वोटों के अंतर से जीतीं।
- 1996 – उन्हें किसान मोर्चा (भाजपा) का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- 1989 – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष रहे।
- 1988 – भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे।
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जानें कैसे वीरेंद्र सिंह का नाम पड़ा ‘मस्त’
भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भदोही सांसद वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ का नाम तो सभी जानते हैं मगर उनका नाम मस्त कैसे पड़ा इसके पीछे की एक कहानी है। वीरेंद्र सिंह का नाम ‘मस्त’ एक बड़े सन्त से रखा था। इसे लेकर खुद वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि जब उनका जन्म हुआ तो उनके पिता सन्त मुनिश्वरानंद खपड़िया बाबा के पास गए और उन्हें यह जानकारी दी। खपड़िया बाबा उनके पिताजी के गुरु थे ऐसे में जब उनसे नामकरण की इच्छा जताई गई तो उन्होंने कहा कि इनका नाम ‘मस्त’ रहेगा। तभी से लोग उन्हें मस्त के नाम से पुकारने लगे। स्कूल-कॉलेज में उनका नाम वीरेंद्र सिंह रहा लेकिन लोग उनके नाम के साथ मस्त जोड़ना नहीं भूलते हैं।
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वहीं अगर उनको मानने वालों की माने तो लोगों का कहना हैं कि वीरेंद्र सिंह का नाम से ही मस्त नही बल्कि उनका अंदाज भी निराला है। सदन हो या चुनाव क्षेत्र, हर जगह वो बड़ी से बड़ी बात बड़े ही आसानी से कह देते हैं। सदन में कई बार बेबाकी से उनके द्वारा दिये जवाब से विपक्षियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वह विरोध ज्यादा समय तक नही टिक सका।