Guru Gobind Singh : वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह जैसे वाक्य Guru Gobind Singh की वीरता को बयां करते हैं। 15वीं सदी में गुरु नानक ने सिख पंथ की स्थापना की। आपके जानकारी के लीए बता दे कि आज गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh) की पुण्यतिथि है, इसके साथ Guru Gobind Singh के पिता गुरु तेग बहादुर भी इस पंथ के गुरु थे। आपको बता दे कि गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh) ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दिया था।
Guru Gobind Singh सिखों के दसवें गुरु थे। उनका जन्म पटना साहिब में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) को ज्ञान, सैन्य क्षमता आदि के लिए जाना जाता है। उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवंबर सन 1675 को वे गुरु बने।
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पंथ की स्थापना Guru Gobind Singh ने की थी..
खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की, वहीं इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पांच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया और तत्पश्चात् उन पांच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया, खालसा सिख धर्म के विधिवत् दीक्षाप्राप्त अनुयायियों सामूहिक रूप है।
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सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं..
उन्होंने खालसा को पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें ‘पांच ककार’ कहा जाता है। पांच ककार का मतलब ‘क’ शब्द से शुरू होने वाली उन 5 चीजों से है, जिन्हें Guru Gobind Singh के सिद्धांतों के अनुसार सभी खालसा सिखों को धारण करना होता है।Guru Gobind Singh ने सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं- ‘केश’, ‘कड़ा’, ‘कृपाण’, ‘कंघा’ और ‘कच्छा’ यह इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता।
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Guru Gobind Singh एक लेखक भी थे..
Guru Gobind Singh ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी आदि भाषाओं का ज्ञान था। Guru Gobind Singh एक लेखक भी थे, उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की थी। उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया।