राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपनी पत्नी सारा पायलट से तलाक ले चुके हैं। इसका खुलासा आज पायलट ने नामांकन-पत्र के साथ दिए एफिडेविट में किया है।
जयपुर: राजस्थान कांग्रेस नेता सचिन पायलट का उनकी पत्नी सारा अब्दुल्ला पायलट से तलाक हो गया है। पायलट के चुनावी एफिडेविट से इसका खुलासा हुआ है। हालांकि दोनों के बीच तलाक कब हुआ, इसका कोई खुलासा नहीं हो सका है। बता दे कि जनवरी 2004 में सारा और सचिन ने एक साधारण सामारोह में शादी की थी। इस शादी में बहुत कम लोगों को आमंत्रित किया गया था। सारा के परिवार यानी अब्दुल्ला परिवार ने इस शादी का बहिष्कार किया था।
पहली बार सार्वजनिक हुई है तलाक की खबर…
हालांकि बताया जा रहा है, कि सचिन और सारा के बीच तलाक की खबरें कई बार सामने आईं, लेकिन कभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। यहां तक कि तलाक की भनक भी किसी को नहीं लगी। दोनों के बीच कब तलाक हुआ यह अभी सामने नहीं आ पाया है। सचिन पायलट की ओर से मंगलवार को टोंक विधानसभा सीट से भरे गए नामांकन के दौरान साथ फाइल किए गए हलफनामे से तलाक की बात पहली बार सार्वजनिक हुई है।
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सचिन-सारा के दो बच्चे…
सचिन और सारा के दो बच्चे हैं और दोनों सचिन के साथ ही रहते हैं, जिसका जिक्र भी एफिडेविट में किया हुआ है। सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं। उनकी शादी सचिन पायलट से 19 साल पहले 15 जनवरी 2004 को हुई थी।
लंदन में पढ़ाई के दौरान हुआ था प्यार…
सचिन ने लंदन स्थित पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से जब एमबीए की पढ़ाई की थी, तो वहीं उनकी मुलाकात सारा अब्दुल्ला से हुई थी। सचिन और सारा को एक दूसरे से प्यार हुआ और उन्होंने शादी की। शादी के बीच में मजहब की दीवार भी आई लेकिन सचिन पायलट ने 15 जनवरी 2004 को सारा से शादी कर ली।
बहुमत आने के बाद तय होगा मुख्यमंत्री…
सचिन पायलट से जब पूछा गया कि राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी पहले से मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं करती है। बहुमत आने के बाद हम तय करते हैं कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा?
सचिन संभाले हुए पिता की राजनीतिक विरासत…
सचिन के पिता राजेश पायलट भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। राजीव गांधी उन्हें अपने साथ राजनीति में लाए थे। पिता की एक दुर्घटना में मौत के बाद सचिन भी सक्रिय राजनीति में उतरे और पहली बार दौसा से सांसद बने। बेहद कम उम्र में उन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला।