Chandrayaan-3 : ISROने अगस्त में चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडिंग का मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर पहला देश बना। वहीं आज चांद पर दिन होने वाला है और ऐसे में ISRO चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर मॉड्यूल को एक बार फिर से जगाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन यह उम्मीद कम ही है कि लैंडर और रोवर दोबारा काम करेंगे। इसके साथ ISRO चंद्र मिशन की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है और चंद्रयान-3 मिशन के दूसरे चरण के लिए तैयारी कर रहा है। इस बीच विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के लिए आज यानी 22 सितंबर का दिन बेहद खास है।
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एक्टिव करने की कोशिश की जाएगी..
बता दे कि चंद्रमा के साउथ पोल पर आज एक बार फिर से दिन होगा। वहीं इस सूर्योदय के चलते इसरो चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर एक बार फिर ‘जगाने’ की कोशिश किया जाएगा। इसके साथ सूर्योदय को देखते हुए ISRO के Scientists ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है। वहीं चांद के शिव शक्ति प्वाइंट पर सूर्योदय होने के साथ ही शुक्रवार को लैंडर और रोवर को एक बार फिर एक्टिव करने की कोशिश की जाएगी।
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14 दिनों तक कर सकते हैं काम
रिपोर्ट के मुताबिक ISRO के एक अधिकारी ने कहा कि ग्राउंड स्टेशन अधिकतम धूप उपलब्ध होने के बाद गुरुवार या शुक्रवार को लैंडर, रोवर मॉड्यूल और ऑन-बोर्ड उपकरणों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगा। लेकिन ISRO की माने तो यह संभावना कम ही है कि दोनों स्लीप मोड से जांगे। अगर दोनों स्लीप मोड से उठे तो लैंडर और रोवर कम से कम अगले 14 दिनों तक काम कर सकते हैं।
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तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से..
जानकारी के मुताबिक सौर ऊर्जा से संचालित चंद्रयान-3 मॉड्यूल मिशन का जीवन केवल एक चंद्र दिवस था, जो कि पृथ्वी पर के लगभग 14 दिनों के बराबर था। वहीं इस लैंडर और रोवर मॉड्यूल में लगे इलेक्ट्रॉनिक्स को चंद्रमा पर रात के अत्यधिक ठंड तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था। जहां चंद्रयान-3 की लैंडिंग जहां हुई थी, वहां तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे चला जाता है।