Madhya Pradesh: पूरे देश में पेपर लीक (Paper Leak) का मुद्दा गरमाया हुआ है. ये मामला सड़क से लेकर संसद तक पहुंच चुका है. हर रोज इस मामले में नए-नए खुलासे हो रहे है. विपक्षी दलों द्वारा मोदी सरकार को लगातार घेरा जा रहा है. छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का कोई खिलवाड़ ना हो इसके लिए केंद्र से लगातार राज्य सरकार अहम कदम उठा रही है. यूपी की योगी सरकार ने कानून बना दिया है,जिसके तहत अगर कोई भी शख्स या गिरोह पेपर लीक में पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब इसी क्रम में मध्य प्रदेश भी शामिल हो गया है.
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पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कड़ा कानून
बताते चले कि राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव समेत पूरा विपक्ष इस मामले को लेकर केन्द्र सरकार पर लगातार हमलावर बना हुआ है. ऐसे में कई बीजेपी शासित राज्य भी नकल रोकने के लिए कठोर कानून बना रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार पेपर लीक (Paper Leak) करने वालों के खिलाफ कड़ा कानून बना रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने घोषणा की है कि पेपर लीक करने वाले व्यक्तियों, सर्विस प्रोवाइडरों, कंपनियों और परीक्षा केंद्रों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. इस कानून के तहत दोषियों पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है.
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कितना सख्त होगा कानून ?
कानून का प्रारूप तैयार: पेपर लीक (Paper Leak) में लिप्त पाए जाने वाले लोगों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी. इस कानून का प्रारूप लगभग तैयार है और इसे जल्द ही विधि विभाग को जांच के लिए भेजा जाएगा.
गंभीर अपराध की श्रेणी में: यह कानून सभी तरह की परीक्षाओं में पेपर लीक को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखेगा.
जमानत नहीं मिलेगी: इस कानून के तहत किसी भी प्रकार की गड़बड़ी में जमानत नहीं मिलेगी और इसे गैर जमानती अपराध माना जाएगा.
संपत्ति जब्ती: दोषियों की संपत्ति को जब्त किया जाएगा और परीक्षा में हुए खर्च की वसूली भी दोषियों से की जाएगी.
सख्त जांच प्रक्रिया: पेपर लीक (Paper Leak) की जांच असिस्टेंट कमिश्नर या डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे। सरकार एसआईटी बनाकर या किसी दूसरी जांच एजेंसी से जांच करवा सकती है.
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किसी भी तरह की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी
इस कानून का मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है, ताकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके. यह कदम सरकार की सख्त मंशा को दर्शाता है कि परीक्षा प्रणाली में किसी भी प्रकार की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सरकार एसआईटी बनाकर या किसी दूसरी जांच एजेंसी से जांच करवा सकती है. इस कानून की सबसे बड़ा गाज सर्विस प्रोवाइडर पर गिरेगी. सर्विस प्रोवाइडर वह होगा जो कंप्यूटर और बाकी सिस्टम परीक्षा केंद्र को सौंपेगा. सर्विस प्रोवाइडर परीक्षा केंद्र अपनी मर्जी से नहीं बदल सकेंगे. अगर वह समय रहते किसी भी तरह की गड़बड़ी की सूचना पुलिस को नहीं देगा तो दोषी माना जाएगा.
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