उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विधानसभा में 43 साल पहले हुए मुरादाबाद दंगे की जांच रिपोर्ट पेश की। 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद में दंगे हुए थे। वही बता दे कि कहा जाता है, कि इस दंगे में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर 83 लोगों की मौत ही बताई गई है।
1980 Moradabad Riots: उत्तर प्रदेश सरकार ने 1980 में मुरादाबाद जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच रिपोर्ट मंगलवार को दोनों सदन के पटल पर रखी। बता दे कि मुरादाबाद दंगों पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को ‘क्लीन’ चिट दी गई है। वही सरकार ने इस गोपनीय रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक न करने का निर्णय लिया है। लेकिन इसे विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। हैरत तो यह कि इसकी रिपोर्ट 40 साल पहले सरकार को दे दी गई थी लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस व सपा- बसपा सरकारों ने इसे कैबिनेट द्वारा मंजूर करने की अनुमति तक नहीं दी।
मुस्लिम लीग के नेता की अहम भूमिका…
आयोग ने रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है, कि खान के समर्थकों में मुस्लिम लीग के सदस्य और कुछ अन्य लोग भी शामिल थे। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया है, कि दंगों में सभी मुसलमानों का हाथ नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईद के दिन पुलिस अधिकारियों ने बेहद सावधानी बरती और ईदगाह पर तभी गोलीबारी की जब वहां रहने वाले लोगों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली सिर्फ आत्मरक्षा में चलाई गई थी। इसमें कहा गया है कि इसके बावजूद दंगाइयों ने आवेश फैलाया।
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कैसे भड़का दंगा…
13 अगस्त 1980 की सुबह मुरादाबाद में ईद की नमाज के दौरान ये दंगा भड़का था। 60 से 70 हजार लोग ईदगाह मैदान में ईद उल फितर की नमाज पढ़ने के लिए जमा थे। नमाज के दौरान अफवाह फैली, ईदगाह के पास एक अपवित्र जानवर (सुअर) घुस आया है, नमाज नापाक हो गई है। अफवाह फैलते ही, लोग सड़कों पर आ गए, हंगामा शुरू हो गया। ईदगाह के पास तैनात पुलिसवालों, अफसरों पर लाठी, डंडे, ईंट पत्थर से भीड़ ने हमला कर दिया। तत्कालीन एसएसपी विजयनाथ सिंह का सिर फट गया, नगरपालिका के OC को पीट-पीटकर भीड़ ने मारा डाला। आंसू गैस के गोले, लाठीचार्ज से भी जब दंगाइयों की भीड़ काबू में नहीं आई तो अपर जिला मजिस्ट्रेट ने फायरिंग के आदेश दे दिए।
इंदिरा गांधी ने बताया विदेशी साजिश…
सरकार ने जानकारी दी कि मुरादाबाद के इस भीषण दंगे में 83 लोग मारे गए और 112 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का दावा इससे अलग था। लोगों का कहना था कि फसाद में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। दंगों का असर ऐसा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे विदेशी साजिश करार दे दिया था। खाड़ी के देशों से भारत के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों पर भी असर पड़ा था। माहौल की गंभीरता को देखते हुए सीएम वीपी सिंह ने मामले की जांच के लिए जस्टिस एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर दिया।
विधानसभा में 43 साल बाद मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पेश…
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पेश की। 13 अगस्त 1980 में हुए इस दंगे में 83 लोगों की जान गई थी। CM योगी ने दंगे की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट से पता चलेगा कि दंगे में क्या हुआ था? इसका जिम्मेदार कौन है। रिपोर्ट में यूपी पुलिस को क्लीनचिट मिलने की संभावना है। अब 43 साल के बाद इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा। उस समय यूपी में कांग्रेस की सरकार थी। वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे।