लखनऊ संवाददाता- Mohd Kaleem…
लखनऊ: भाकपा (माले) ने डायल-112 की महिला कर्मियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उनके पुलिस उत्पीडऩ की निंदा की है। पार्टी ने बीएचयू आईआईटी की छात्रा के साथ परिसर में बंदूक की नोंक पर गैंगरेप होने की बात सामने आने और घटना के नौ दिन के बाद भी दुराचारियों के आजाद घूमने पर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इसके अलावा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के राज्य सचिव मण्डल ने भी महिला कर्मचारियों के आंदोलन का दमन करने और उनके खिलाफ मुकदमें दर्ज करने की योगी सरकार कड़ी निंदा की है।
कार्यस्थल छोड़कर अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतरना पड़ा…
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा महिला सशक्तिकरण का सिर्फ दिखावा करती है। जब इसे लागू करने की बात आती है, तो कन्नी काट जाती है। यही हाल महिला आरक्षण के साथ भी हुआ। इसी रवैये के चलते डायल-112 की महिला कर्मियों को अपना कार्यस्थल छोड़कर अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतरना पड़ा है। वेतन वृद्धि, अवकाश व सेवा सुरक्षा से जुड़ी उनकी मांगें सर्वथा उचित हैं। लेकिन योगी सरकार उनके आर्थिक शोषण पर लंबे समय से मौन धारण किये रही और जब लड़कियों ने आवाज उठाई, तो उनकी न्यायपूर्ण मांगें मानने के बजाय उनपर दो-दो एफआईआर दर्ज कर उन्हें डराने व चुप कराने की जुगत कर रही है। यही है भाजपा का नारी सम्मान।
योगी सरकार कड़ी निंदा की है…
इधर, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के राज्य सचिव मण्डल ने यूपी 112 की महिला कर्मचारियों के आंदोलन का दमन करने और उनके खिलाफ मुकदमें दर्ज करने की योगी सरकार कड़ी निंदा की है। राज्य सचिव मण्डल ने कहा है कि महिला कर्मचारियों का आंदोलन जायज है और राज्य सरकार का रवैया दमनात्मक है। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। सरकार को इसे कुचलने की बजाय उनकी मांगों पर शीघ्र कार्यवाही करनी चाहिए।
राज्य सचिव मण्डल ने यूपी 112 की महिलाओं के आंदोलन…
राज्य सचिव मण्डल ने कहा है कि यूपी 112 तो एक उदाहरण है। काल सेंटरों में कामकाजी महिलाओं व पुरूषों का भयानक शोषण हो रहा है। न्यूनतम वेतन की शर्तें भी लागू नहीं है। 10-12 हजार का भुगतान, उसमें सेवा प्रदाता कंपनी का कमीशन ऊपर से कटता है। क्या मिलता है? कुछ नहीं। राज्य सचिव मण्डल ने यूपी 112 की महिलाओं के आंदोलन का समर्थन करते हुए योगी सरकार से शीघ्र इनकी मांगों को मानने और इन्हें नियमित करने व इन पर से मुकदमें वापस लेने की मांग की है।