- शासन के आदेशों पर पानी फेर रहे सीएससी अधीक्षक कर्नलगंज
- सरकारी दवा के नाम पर लिख दिया जाता है बाहर का पर्चा
- डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आदेशों की सरे आम उड़ाई जा रही धज्जियां
- अपने मन मुताबिक करते हैं स्वास्थ्य कर्मचारी बिना किसी खास के धल्ले से लिखा जा रहा है बाहर पर्चा
गोण्डा संवाददाता- भूपेन्द्र तिवारी
Gonda: उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराती जा रही है। स्वास्थ्य कर्मचारी अस्पताल में अपनी मनमानी करते है। कभी- कभी मरीजों के साथ अभ्रदता भी करते नजर आते है। यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने पहले भी सरकारी अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों को सचेत कर चुके है। लेकिन इसके बाद भी सरकारी अस्पताल के कर्मचारी अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे है। डिप्टी सीएम पाठक के आदेशों की खुला धाज्जियां उड़ाई जा रही है। आखिरकार कब तक चलेगा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मनमानी। वहीं अगर बात की जाए तो जो गरीब परिवार किसी तरीके से मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरता है अगर वह इलाज के लिए कोई सरकारी अस्पताल जाता है तो उसको बाहर की दवाइयां बाहर से लिख दी जाती है। और उससे बोला जाता है कि अस्पताल में सिर्फ कैल्शियम की गोली ही मिल पाती है।
मरीजों को बाहर से लिखी जा रही दवाईयां
सरकारी अस्पताल में डाक्टर मरीजों को बाहर से दवाई लिख रहे है। डाक्टर मरीज को बाहर से दवा लेने को सलाह दे रहे है। इसके एवज में डॉक्टरों को मेडिकल स्टोर से अच्छा खासा कमीशन मिलता है। मगर जो गरीब परिवार होते है वह परेशान रहते है। उनके पास दवाईयां बाहर से दवाईयां लेने के लिए पैसे नही होते है। मगर स्वास्थ्य कर्मचारियों पर इसका कोई भी असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। ऐसा ही मामला गोंडा से कई मामले सामने आए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उन पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे उनका मन और भी बढ़ता जा रहा है।
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पीड़ित ने सीएम हेल्पलाइन नं0 पर की शिकायत
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मौहर गनवलिया निवासी जयचंद यादव ने शिकायत की है कि वह अपने बेटे का इलाज कराने सीएससी कर्नलगंज आए हुए थे जहां पर उनको दवाईयां न देकर बाहर की दवाईयां लिख दी गई। जिससे नाराज पीड़ित ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। शिकायत दर्ज करने के बावजूद भी उसको झांसा दिया जाता है कि अस्पताल आओ और तुमको कुछ अच्छी दवाइयां दे देते हैं। और मामले में सुलह समझौता कर लो ऐसे ही कई मामले निकाल कर सामने आए है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई कड़ी करवाई अभी तक नहीं की गई है।