Digital- Richa Gupta
लखनऊ : केंद्र सरकार के समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर विपक्ष लगातार हमला कर रहा है। इसी बीच बसपा सुप्रीमो ने समान नागरिक संहिता समर्थन करके विपक्ष को चौंका दिया है।
रविवार को बहुजन समाज पार्टी ने समान आचार संहिता को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया हैं। बसपा सुप्रीमों मायावती ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में UCC पर बोलते हुए कहा है कि, ”बसपा यूसीसी के विरोध में नहीं है। लेकिन इसे जबरन थोपने का प्रावधान नहीं है। इसके लिए जागरूकता और आम सहमति जरूरी है।”
UCC से देश को मिलेगी मजबूती – मायावती
मायावती ने कहा कि, ”भारत एक विशाल आबादी वाला देश है। यहां हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, पारसी, बौद्ध सहित अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। इसके खानपान, रहन-सहन और जीवनशैली के अपने तौर-तरीके और रस्म-रिवाज हैं। इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह बात भी सोचने वाली है कि यदि हर धर्म के मानने वालों के लिए एक समान कानून होता है तो इससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होगा। इसके साथ ही आपस में सद्भाव भी बढ़ेगा। यह बात भी काफी हद तक सही है। उन्होंने कहा कि इसे ही ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान की धारा 14 में समान नागरिक संहिता को बनाने का उल्लेख किया गया है। ”
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”प्रमुख समस्याओ से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया कानून” – मायावती
इसके आगे उन्होंने कहा कि, ”लोग यूसीसी को लेकर तरह तरह की बातें कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि मौजूदा समस्या से ध्यान बांटने के लिए इसे लाया जा रहा है। इस समय देश में जो प्रमुख समस्याएं हैं उसकी तरफ सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा है कि जैसे जनता का ध्यान बाँटने के लिए इसे लाया जा रहा है।”
UCC लागू होने पर क्या होंगे बदलाव?
आपको बता दें कि, 20 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता पर बिल पारित होने संभावना जताई जा रही है। वही , उत्तरखंड में यूसीसी को लागू करने को लेकर ड्राफ्ट भी तैयार किया जा चुका है। ऐसे में जानना जरुरी हो जाता है, इस बिल से क्या बदलाव देखने को मिल सकते है। इस बिल पारित होने से सभी धर्मों के लिए सिविल मामलों का एक कानून होगा। पर्सनल लॉ का रोल लगभग खत्म हो जाएगा।
झारखंड के पूर्व सीएम ने भी किया UCC का समर्थन
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा UCC को दिए गए समर्थन के पश्चात झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने यूनिफार्म सिविल कोड का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि, ”एक घर में दो अलग-अलग कानून होगा तो कैसे चलेगा। इसलिए एक देश में एक ही कानून चलना चाहिए। जब देश मे क्रिमिनल लॉ एक है, तो सिविल लॉ भी एक होना चाहिए। इसमें कांग्रेस को आखिर क्या परेशानी है। यह तो 75 साल पहले हो जाना चाहिए था, क्योंकि संविधान के पैरा 44 में इसका स्पष्ट उल्लेख है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को कई बार कह चुकी है।”