Madhya Pradesh: मनिका गांव में बोरवेल में गिरे मासूम को बचाने की लाख दुआएं भी काम नहीं आई. खबर मध्य प्रदेश के त्यौथर विधानसभा क्षेत्र के मनिका गांव की है. जहां 6 वर्षीय मयंक आदिवासी को नहीं बचाया जा सका. आपको बता दें कि बीते 44 घंटे पहले मयंक आदिवासी खेत में गेहूं की बालियां बिनने के दौरान खेत मे खुले गहरे बोरवेल में जा गिरा था जिसकी सांसे अब थम चुकी हैं।
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किस तरह बोरवेल में गिरा मयंक ?
बोरवेल में गिरने की सूचना के बाद ही जिला प्रशासन कलेक्टर,SP हरकत में आ गये और तत्काल पुलिस प्रशासन एवं SDRF और NDRF की टीम के द्वारा लगातार लगभग 44 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया. मगर 44 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन करने के बाद भी मयंक को जीवित नहीं बचाया जा सका. आपको बताते चले की 12 अप्रैल की दोपहर तकरीबन 3:30 पर कुछ बच्चों के साथ 6 वर्षीय मयंक खेत में गेहूं की बालियां बीनने घर से बाहर निकाला था. मगर शायद उसे यह नही पता था कि उसकी मौत वहां उसका इंतजार कर रही है.
खेत में बोरवेल के ऊपर गेहूं की बालियां बिखरी हुई थीक, जैसे ही बोरवेल के ऊपर बालिया उठाने लगा तभी वह अचानक बोर के नीचे चला गया. इस घटना के बाद मध्यप्रदेश में कोहराम मच गया. तत्काल इस घटना की सूचना पुलिस प्रशासन को दी गई, जिसके बाद वहीं लगातार पुलिस और प्रशासन एवं एसडीआरएफ और एन डी आर एफ की टीम के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. मगर उसमें भी बारिश ने खलल डाल दिया. इसके बाद जिला प्रशासन कलेक्टर, sp बारिश भीगते हुए भी रेस्क्यू चलवाया. मगर उसके बाद भी आखिरकार मयंक को नहीं बचाया जा सका।
लगभग 44 घंटे तक बोरवेल के अंदर फंसा रहा मयंक
रीवा जिला प्रशासन एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के द्वारा लगातार 44 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया है. मगर उसके बाद भी मयंक को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जा सका, क्योंकि बोरवेल की गहराई 70 फीट से ज्यादा होने के चलते मयंक आदिवासी काफी नीचे चला गया था जिसे जीवित वहां से नहीं निकाला जा सका है. मयंक को बोरवेल की गहराई से बाहर निकालने के बाद डॉक्टर ने उसका परीक्षण किया और उसे मृत्यु घोषित कर दिया है. मृतक मयंक आदिवासी के शव को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम के लिए रख दिया गया है।
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मयंक के लिए दुआएं भी नहीं आई काम
मयंक का परिवार कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका 6 वर्षीय बच्चा इतनी कच्ची सी उम्र में साथ छोड़कर चला जाएगा. मयंक की मौत की खबर लगते ही पूरे इलाके में मातम छा गया है. आपको बता दे इस रेस्क्यू ऑपरेशन में रीवा जिले की कलेक्टर प्रतिभा पाल और पुलिस अधीक्षक त्योंथर विधायक सिद्धार्थ तिवारी राज लगातार घटना स्थल पर पिछले 48 घंटे से मौजूद रहे. जिले के प्रशासनिक अधिकारी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक होने के नाते अपने फर्ज के साथ-साथ मानवता भी दिखाई है क्योंकि वह घटना स्थल पर लगातार मयंक के परिवार के साथ अपना समय बिताया हैं. लगातार 44 घंटे तक मौत और जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते हार गया मयंक ने बोरवेल में ले ली अंतिम सांस।
विधायक सिद्धार्थ तिवारी भी डटे रहे
त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के युवा विधायक सिद्धार्थ तिवारी राज लगातार घटनास्थल पर घटना दिनांक से परिवार के बीच में डटे रहे विधायक के द्वारा लगातार हर संभव प्रयास किया गया, जिसमें पुलिस प्रशासन एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम ने मयंक को बचाने का हर संभव प्रयास किया. मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मयंक को बचाने कि लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी,लेकिन रेस्क्यू अभियान भी नहीं काम आया.
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