Next of Kin Rules: अपने शहीद बेटे कैप्टन अंशुमान सिंह को भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार, कीर्ति चक्र मिलने के कुछ दिनों बाद ही, उनके माता-पिता ने भारतीय सेना की ‘निकटतम परिजन’ (NOK) नीति में बदलाव की मांग की है. इस नीति के तहत सेना के जवान की मृत्यु पर उसके परिवार के सदस्यों को आर्थिक सहायता दी जाती है.
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NOK नीति पर उठा सवाल
बताते चले कि शहीद कैप्टन के पिता रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उनके बेटे की मृत्यु के बाद उनकी विधवा स्मृति सिंह घर छोड़कर चली गईं, और मौजूदा समय में उन्हें ही हर लाभ मिल रहा है. कैप्टन सिंह की पिछले साल जुलाई में सियाचिन में एक भीषण आग लगने की घटना में मृत्यु हो गई थी. रवि प्रताप सिंह और उनकी पत्नी मंजू सिंह ने बताया कि उनके बेटे अंशुमान सिंह की मृत्यु के बाद उनकी विधवा स्मृति सिंह घर से बाहर चली गईं और मौजूदा वक्त में उन्हें अधिकांश अधिकार मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब उनके पास सिर्फ उनके बेटे की तस्वीर बची है, जो दीवार पर टंगी हुई है.
नीति में बदलाव की मांग
रवि प्रताप सिंह ने कहा, “NOK के लिए निर्धारित मानदंड सही नहीं हैं. मैंने इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है. अंशुमान की पत्नी अब हमारे साथ नहीं रहती है, शादी को सिर्फ पांच महीने हुए थे और कोई बच्चा नहीं है. हमारे पास दीवार पर सिर्फ हमारे बेटे की एक तस्वीर टंगी है जिस पर माला है.”शहीद कैप्टन के पिता ने कहा, “इसलिए हम चाहते हैं कि NOK की नई परिभाषा तय की जाए. यह तय किया जाना चाहिए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है, तो किस पर कितनी निर्भरता है.” कैप्टन सिंह की मां मंजू सिंह ने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार NOK नियमों पर फिर से विचार करे ताकि दूसरे माता-पिता को परेशानी न उठानी पड़े.
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NOK क्या है ?
‘निकटतम परिजन’ शब्द का अर्थ किसी व्यक्ति के जीवनसाथी, सबसे करीबी रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक से है। जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को NOK के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है.सेना के नियमों के अनुसार, जब कोई कैडेट या अधिकारी शादी करता है, तो उसके माता-पिता के बजाय उसके जीवनसाथी का नाम उसके निकटतम परिजन के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है. सेवा के दौरान किसी व्यक्ति को कुछ हो जाने पर अनुग्रह राशि NOK को दी जाती है.
क्या चाहते है शहीद कैप्टन के माता-पिता ?
आपको बता दे कि शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता चाहते हैं कि इस नीति में बदलाव किया जाए ताकि माता-पिता को भी अधिकार और सम्मान मिल सके.
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