Manipur Drone Attack: मणिपुर में दो महीने की अस्थायी शांति के बाद 1 सितंबर को एक घातक हमला हुआ है, जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य लोग घायल हो गए, जिनमें एक 12 साल की किशोरी, दो पुलिसकर्मी और एक मीडियाकर्मी शामिल हैं। यह हमला खास तौर पर चौंकाने वाला है क्योंकि इसमें ड्रोन का उपयोग किया गया है, जो कि मणिपुर में हिंसा के इतिहास में पहली बार हुआ है।
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मणिपुर में पहली बार ड्रोन का उपयोग
इससे पहले मणिपुर में हिंसा मुख्यतः पारंपरिक हथियारों से होती रही है, लेकिन अब ड्रोन के माध्यम से बम हमले ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। कुकी उग्रवादियों ने मैतेई समुदायों के गांवों पर ड्रोन से बम गिराए, जिससे इंफाल पश्चिम जिले में सेजम चिरांग और पास के कोऊतरक क्षेत्र में तबाही मच गई। इस हमले में दो लोगों की मौत हुई, जबकि 12 अन्य घायल हुए हैं।
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ड्रोन अटैक: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
यह ड्रोन हमला सिर्फ मणिपुर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। ड्रोन का उपयोग अब घरेलू संघर्षों में भी किया जाने लगा है, जो एक खतरनाक मिसाल स्थापित करता है। यह नई तकनीक पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, जो अब ड्रोन हमलों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करने में जुटी हैं। हालांकि मणिपुर पुलिस ने ड्रोन हमलों के लिए ‘कथित कुकी उग्रवादियों’ को जिम्मेदार ठहराया है।
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सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव सिंह ने ड्रोन हमलों के बाद कदंगबैंड, कौट्रुक और सेनजाम चिरांग जैसे प्रभावित इलाकों का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन अटैक की गंभीरता को देखते हुए, एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) और अन्य विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। इसके अतिरिक्त, एक समिति गठित की गई है जो ड्रोन से निपटने के लिए उपाय सुझाएगी।
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ड्रोन युद्ध: घरेलू संघर्षों में एक नई दिशा
ड्रोन का उपयोग घरेलू संघर्षों में एक नई दिशा दे सकता है, जिससे अधिक परिष्कृत और खतरनाक हमले संभव हो सकते हैं। यह अन्य आतंकवादी समूहों को भी प्रेरित कर सकता है, जिससे अन्य अशांत क्षेत्रों में भी ऐसी ही रणनीति अपनाई जा सकती है। इसके अलावा, ड्रोन का उपयोग भारतीय सीमा के पार से भी हो सकता है, जिससे सीमा सुरक्षा पर भी सवाल उठ सकते हैं।
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राज्य और केंद्र सरकार के बीच संबंधों पर पड़ता प्रभाव
मणिपुर में बढ़ती हिंसा और ड्रोन हमलों के कारण राज्य और केंद्र सरकार के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। अधिक प्रभावी हस्तक्षेप और संघर्ष समाधान की मांग बढ़ रही है। राज्य सरकार ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है और आश्वासन दिया है कि अपराधियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। ड्रोन हमलों का बढ़ता प्रयोग भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पेश करता है। यह घरेलू संघर्षों में तकनीकी उन्नति का संकेत है, जो भविष्य में अधिक जटिल और खतरनाक समस्याओं को जन्म दे सकता है। सुरक्षा एजेंसियों को अब ड्रोन के खतरे का सामना करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा। मणिपुर में ड्रोन से हुए हमले ने न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है और पूरे देश में एक चिंता का विषय बन चुका है।