महाशिवरात्रि (Mahashivaratri ) का पर्व भगवान शिव की पूजा और आराधना का महत्त्वपूर्ण अवसर है, जो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की घटना हुई थी। इसलिए इस दिन शिव-पार्वती विवाह की पूजा करने से सुखमय दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन व्रत और कथा का आयोजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
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शिव पार्वती विवाह की कथा

ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा, “हे नारद! पर्वतराज हिमाचल ने अपनी पत्नी मेना के साथ अपनी पुत्री पार्वती के विवाह के लिए तैयारी शुरू की। इस अवसर पर मेना सोने के कलश को लेकर पति हिमवान के दाहिने भाग में बैठी हुई थीं। दोनों के मुख पर प्रसन्नता की लहर छाई हुई थी।
शैलराज ने पाद्य, अर्घ्य, और अन्य पूजन सामग्री से भगवान शिव का पूजन किया। फिर उन्होंने वस्त्र, चन्दन और आभूषणों से भगवान शिव का सम्मान किया।”इसके बाद हिमाचल ने ब्राह्मणों से कहा, “आप लोग तिथि आदि के कीर्तन और कन्यादान के संकल्प वाक्य बोलें, अब वह शुभ समय आ गया है।” यह सुनकर ब्राह्मणों ने विधिपूर्वक विवाह की तिथि का उद्घोष किया और कन्यादान की प्रक्रिया शुरू की।
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सर्वश्रेष्ठ और अद्भुत मिलन
शिव-पार्वती का विवाह सर्वश्रेष्ठ और अद्भुत था। भगवान शिव ने अपनी तपस्या और साधना के कारण पार्वती को अपने जीवन संगिनी के रूप में स्वीकार किया। विवाह के समय देवता और ऋषि-मुनि सहित सभी प्राणी उपस्थित थे। यह विवाह परम प्रसन्नता और आशीर्वाद का प्रतीक बना, और देवी पार्वती ने भगवान शिव के साथ घर-गृहस्थी का सुखद जीवन बिताने की शपथ ली।यह कथा इस बात का प्रतीक है कि भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन से संसार में सुख-शांति का साम्राज्य स्थापित हुआ। महाशिवरात्रि के दिन यह कथा सुनने और व्रत करने से दांपत्य जीवन में सुख और प्रेम की वृद्धि होती है।

महाशिवरात्रि व्रत और पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि व्रत का पालन करते हुए यदि शिव-पार्वती विवाह की कथा का श्रवण किया जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। साथ ही, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा से हर प्रकार के दुख और कठिनाई से मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव का व्रत और रात्रि जागरण करने से व्यक्ति को उनके आशीर्वाद से आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।