Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से पहले ही राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) दोनों अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इस बार चुनावी नतीजों के समीकरण दिलचस्प बनते नजर आ रहे हैं, जहां निर्दलीय और विद्रोही उम्मीदवारों की भूमिका अहम साबित हो सकती है।
सिर्फ इतना ही नहीं चुनाव परिणामों से पहले महा विकास आघाड़ी में सियासी हलचल तेज हो गई है। एक ही दिन में दो गुप्त बैठकें हुईं – पहली बैठक हयात होटल में, और दूसरी मातोश्री में आयोजित की गई। इन बैठकों में सरकार बनाने की रणनीति पर गहरी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, आज कांग्रेस नेता भी एक अहम बैठक कर सकते हैं। कांग्रेस को इस चुनाव में MVA की सबसे बड़ी पार्टी बनने की उम्मीद है।
महायुति को मिली बढ़त लेकिन सतर्कता बरकरार
महायुति गठबंधन, जिसमें भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है, जो कि एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित है। शुरुआती रुझानों में गठबंधन को बहुमत का संकेत मिला है। हालांकि, महायुति नेता कोई जोखिम उठाने के मूड में नहीं हैं। गठबंधन ने अपने विधायकों को बचाने और किसी भी राजनीतिक खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए उन्होंने भी अच्छा-खासा इंतजाम कर रखा हैं। सूत्रों के मुताबिक, संभावित खतरे को देखते हुए कई विधायकों को हेलिकॉप्टर के जरिए अलग-अलग होटलों में शिफ्ट किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन्हें प्रलोभन देकर अपने पक्ष में करने की कोशिश न कर सकें।
निर्दलीयों और बागियों की बढ़ी अहमियत
इस बार चुनाव में निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो चुनावी नतीजों को और दिलचस्प बना रहा है। यदि महायुति गठबंधन 145 सीटों के बहुमत के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाता है, तो इन निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। महायुति के सूत्रों के अनुसार, गठबंधन ने संभावित निर्दलीयों से संपर्क करना शुरू कर दिया है ताकि नतीजों के बाद किसी भी स्थिति में वे अपने पक्ष में समर्थन जुटा सकें।
एमवीए के सामने है दोहरी चुनौती
विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है, को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पहली चुनौती, चुनाव में बहुमत के लिए पर्याप्त सीटें हासिल करना, और दूसरी चुनौती भाजपा की “ऑपरेशन लोटस” रणनीति से निपटना। विपक्ष को यह आशंका है कि यदि भाजपा बहुमत के आंकड़े से चूकती है, तो वह विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर सकती है।
एमवीए के वरिष्ठ नेता मुंबई में डेरा डाल चुके हैं और विभिन्न संभावनाओं पर रणनीति बना रहे हैं। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार बनाने के लिए निर्दलीयों और अन्य छोटे दलों से समर्थन जुटाने की योजना पर भी चर्चा हो रही है। चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार महाराष्ट्र में त्रिशंकु विधानसभा के हालात बन सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो निर्दलीयों और छोटे दलों की अहमियत और भी बढ़ जाएगी। ऐसे में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों गठबंधन निर्दलीयों के समर्थन के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे।
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अंतिम निर्णय किसके हाथ?

सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि चुनावी नतीजों के बाद सत्ता का खेल और तीखा हो सकता है। महायुति और एमवीए दोनों सरकार बनाने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। महायुति को जहां बहुमत मिलने की उम्मीद है, वहीं एमवीए के नेता भी अंतिम मौके तक कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। निर्दलीय और बागियों के बढ़ते प्रभाव ने दोनों ही खेमों के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
महाराष्ट्र में इस बार का चुनाव न केवल सत्ता के समीकरण बदल सकता है, बल्कि जनता की उम्मीदों और विश्वास पर भी असर डालेगा। दोनों गठबंधन अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय जनता की अदालत के नतीजों पर निर्भर करेगा। इस बार की जोड़-तोड़ भले ही सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का खेल हो, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र के विकास और स्थिरता के लिए कौन सी सरकार सत्ता में आती है।