Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टिकटों को लेकर मची खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। पालघर विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्रीनिवास वनगा (Shriniwas Vanga) ने टिकट न मिलने से दुखी होकर अपने घर को छोड़ दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई थी। वनगा के बाद, अब पालघर जिले के बोईसर और विक्रमगढ़ विधानसभा सीटों से विपक्षी उम्मीदवार और पालघर जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम भी लापता हो गए हैं, जिनका अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है।
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बढ़ी महायुति की चिंता
आज सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (maharashtra assembly election) के नामांकन का आखिरी दिन है, और ऐसे में उम्मीदवारों के पहुंच से बाहर हो जाने से महायुति की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। नाशिक के दिंडोरी और देवलाली विधानसभा क्षेत्रों के भी दो उम्मीदवार, धनराज महाले और राजश्री अहिरराव, भी पार्टी के संपर्क में नहीं हैं। इन उम्मीदवारों के अचानक गायब हो जाने से चुनावी माहौल में अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि टिकट वितरण में असंतोष के चलते कई उम्मीदवार बगावत की राह पर हैं और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर रहे हैं, जिससे महायुति के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
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भाजपा के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने लिया नाम वापस
भाजपा (BJP) के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी (Gopal Shetty) ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के कहने पर चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया है। इस बीच, महायुति के कई नेता उम्मीदवारों को मनाने और उन्हें चुनाव में पार्टी के पक्ष में वापस लाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
तीन उम्मीदवार लापता
महाराष्ट्र चुनाव में महायुति गठबंधन को लगातार झटके लग रहे हैं। पालघर जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम का फोन लंबे समय से नॉट रिचेबल है, वहीं शिंदे गुट के दिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से धनराज महाले और देवलाली क्षेत्र से राजश्री अहिरराव भी लापता हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों उम्मीदवारों ने आखिरी दिन एबी फॉर्म भरे थे, लेकिन इसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं है। कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर टिकट को लेकर असहमति और इस्तीफे के आदेशों के चलते इन उम्मीदवारों ने दूरी बना ली है।
शिवसेना गठबंधन के लिए बढ़ी चिंता
इन लापता उम्मीदवारों की वजह से शिवसेना गठबंधन की चिंता भी बढ़ गई है। नासिक के देवलाली और दिंडोरी विधानसभा क्षेत्रों में शिवसेना ने अपनी उम्मीदवारी के लिए अलग से उम्मीदवार खड़े किए थे, जो कि अजित पवार के उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, मुंबई में इन उम्मीदवारों के कहने पर एक अहम बैठक में यह निर्णय लिया गया था, लेकिन नामांकन वापसी की आखिरी तारीख पर उम्मीदवारों का नॉट रिचेबल होना पार्टी के लिए एक बुरा संकेत बन गया है।
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पार्टी में बगावत की आशंका
चुनाव के इस आखिरी दौर में नेताओं का गायब होना पार्टी में संभावित बगावत की ओर इशारा करता है। नेताओं के नाराज होकर चुनाव से दूरी बनाने से महायुति गठबंधन में खासी उथल-पुथल मच गई है। पार्टी के बड़े नेता इस स्थिति को संभालने और उम्मीदवारों को मनाने के प्रयास में लगे हुए हैं, लेकिन टिकट बंटवारे से असंतोष का यह दौर महायुति के लिए चुनावी नुकसान की आशंका भी बढ़ा सकता है। आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन है, ऐसे में इन उम्मीदवारों का समय पर नामांकन वापस न लेना पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।