Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म हो चुका है। सत्ता में काबिज महायुति (भाजपा, शिंदे गुट, और अन्य सहयोगी दल) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) (कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना यूबीटी) के बीच राजनीतिक जंग तेज होती जा रही है। हाल ही में किए गए सी-वोटर सर्वे ने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का एक दिलचस्प खाका पेश किया है। इस सर्वेक्षण में पता चला कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की व्यक्तिगत लोकप्रियता भले ही बढ़ी हो, लेकिन जनता का एक बड़ा वर्ग मौजूदा सरकार के कामकाज से असंतुष्ट नजर आ रहा है।
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शिंदे ने ठाकरे और फडणवीस को पछाड़ा
सी-वोटर सर्वे के अनुसार, मुख्यमंत्री शिंदे ने लोकप्रियता के मामले में अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, 51 प्रतिशत जनता शिंदे सरकार के प्रदर्शन से असंतुष्ट है और बदलाव की इच्छा जताती है, जबकि 41 प्रतिशत लोगों ने सरकार के कामकाज को संतोषजनक माना है। शिंदे की व्यक्तिगत छवि भले ही सकारात्मक है, परंतु यह सरकार के समग्र प्रदर्शन पर उठ रहे सवालों को दबा नहीं पाई है।
‘लड़की बहिन योजना’ चुनाव में बन सकती है ट्रम्प कार्ड
मुख्यमंत्री शिंदे की ‘लड़की बहिन योजना’ ने जनता के बीच खासा प्रभाव डाला है। महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना को 45 प्रतिशत से अधिक लोगों का समर्थन मिला है। इस योजना के माध्यम से शिंदे सरकार ने महिला मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, और इसे चुनाव में ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है। हालांकि, जनसमर्थन में इजाफे के बावजूद, सत्ता परिवर्तन की मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है।
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मराठा आरक्षण, बेरोजगारी और महंगाई बने अहम मुद्दे
सर्वे में यह भी सामने आया है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा आगामी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। करीब 23 प्रतिशत लोगों ने इसे एक बड़ा मुद्दा माना है। इसके अलावा, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, और महंगाई जैसे मुद्दे शिंदे सरकार के खिलाफ असंतोष का मुख्य कारण बन रहे हैं। सरकार के विकास कार्यों की 52.2 प्रतिशत जनता ने सराहना की है, लेकिन बेरोजगारी और महंगाई पर सरकार के प्रयासों को लेकर गहरी नाराजगी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव के समय यह मुद्दे किस तरह के प्रभाव डालते हैं।
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बीजेपी-एनसीपी गठबंधन को मिली-जुली प्रतिक्रिया
भाजपा का अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन करना जनता में बहस का मुद्दा बन चुका है। सर्वे में 49 प्रतिशत लोगों ने माना कि एनसीपी के बिना भाजपा का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था। दूसरी ओर, 36 प्रतिशत लोगों ने इस गठबंधन को फायदेमंद बताया है। भाजपा और अजित पवार का यह गठबंधन चुनाव में कितना कारगर साबित होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
20 नवंबर को मतदान, 23 को नतीजे
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान कराने की घोषणा की है, जबकि 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। अब यह देखना रोचक होगा कि मुख्यमंत्री शिंदे की बढ़ती व्यक्तिगत लोकप्रियता क्या महायुति के पक्ष में सत्ता बनाए रखने में सहायक होगी या राज्य की जनता बदलाव का रास्ता चुनेगी।