Mukhtar Ansari property: माफिया मुख्तार अंसारी की गाजीपुर स्थित 12 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अब सरकारी संपत्ति में अटैच कर दिया गया है। आयकर विभाग द्वारा पिछले वर्ष जब्त की गई इन संपत्तियों के संबंध में मुख्तार के बेटे अब्बास और उमर की याचिका को खारिज कर दिया गया है। आयकर विभाग ने बेनामी संपत्तियों के इस केस पर निर्णायक प्राधिकारी कार्यालय द्वारा मुहर लगाकर इसे सरकारी संपत्ति घोषित किया है।
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मुख्तार की बेनामी संपत्तियों की हुई जांच
आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई ने बीते साल अप्रैल में मुख्तार अंसारी की गाजीपुर स्थित 12.10 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया था। ये संपत्तियां रियल एस्टेट कारोबारी गणेश दत्त मिश्रा के नाम पर खरीदी गई थीं। गाजीपुर पुलिस ने आयकर विभाग को रिपोर्ट दी थी कि मुख्तार अंसारी ने गणेश दत्त मिश्रा और उसके पिता शिवशंकर मिश्रा के नाम से कई बेनामी संपत्तियां खरीदी हैं।
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अधिकारियों ने की गहन जांच
जांच में सामने आया कि गणेश दत्त मिश्रा ने 0.11748 हेक्टेयर और 0.254 हेक्टेयर भूमि सुषमा श्रीवास्तव और गीता राय से खरीदी थी। हालांकि, सेल डीड में जिन चेकों का जिक्र किया गया था, वे कभी कैश नहीं हुए। इससे स्पष्ट हो गया कि यह संपत्तियां मुख्तार अंसारी की थीं। आयकर विभाग ने गणेश को पूछताछ के लिए तलब किया था, लेकिन वह पेश नहीं हुआ। इसके बाद, आयकर विभाग ने गाजीपुर पुलिस से गणेश को हिरासत में लेकर पूछताछ कराने का अनुरोध किया।
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मार्च में हुई थी मुख्तार अंसारी की मौत
मुख्तार अंसारी का इसी साल मार्च में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे थे और यूपी व पंजाब की जेलों में भी बंद रहे थे। उनके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, और यूपी की विभिन्न अदालतों ने उन्हें आठ मामलों में सजा भी सुनाई थी। मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद थे जब उनकी मौत हुई। इस कार्रवाई के बाद, सरकार ने मुख्तार अंसारी की सभी बेनामी संपत्तियों को सरकारी कब्जे में ले लिया है। इस मामले में अब्बास और उमर की याचिका के खारिज होने से यह स्पष्ट हो गया है कि कानून व्यवस्था के खिलाफ उठाए गए कदम गंभीरता से लिए जा रहे हैं।
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