Mandir Loud Speaker Controversy: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इन दिनों धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई है। इस बहस का केंद्र राज्य की चर्चित IAS अधिकारी शैलबाला मार्टिन ( IAS Shaibala Martin) का एक ट्वीट बन गया है, जिसमें उन्होंने मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर सवाल उठाए। उनके इस बयान के बाद हिंदू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जबकि कांग्रेस ने इसे एक वाजिब मुद्दा करार दिया है।
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शैलबाला मार्टिन की सोशल मीडिया पोस्ट से उठा विवाद
शैलबाला मार्टिन, जो 2009 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी हैं, वर्तमान में लोक प्रशासन विभाग (GAD) में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकरों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, “मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर कई गलियों दूर तक ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो आधी रात तक जारी रहता है। इससे किसी को परेशानी नहीं होती?”
शैलबाला ने यह पोस्ट एक अन्य पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखी थी, जिसमें लाउडस्पीकर के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी। इसके बाद यह बयान तेजी से वायरल हो गया और हिंदू संगठनों की नाराजगी का कारण बना। संगठन संस्कृति बचाव मंच ने शैलबाला के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया और कहा कि यह बयान हिंदू धर्म की आस्थाओं पर चोट पहुंचाता है।
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कांग्रेस ने दिया शैलबाला मार्टिन का समर्थन
जहां हिंदू संगठनों ने शैलबाला के बयान का विरोध किया, वहीं कांग्रेस ने इसे एक सही मुद्दा बताते हुए शैलबाला का समर्थन किया। कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने कहा कि बीजेपी सरकार लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई धर्म के आधार पर करती है। उन्होंने कहा, “बीजेपी सरकार धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों को लेकर राजनीति करती है। अगर बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई हो तो बेहतर होगा। आईएएस शैलबाला का बयान इसी ओर इशारा करता है कि सरकार राजनीति कर रही है, जबकि राजधर्म यह है कि सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार किया जाए।”
IAS अधिकारी ने दी सफाई
शैलबाला मार्टिन ने इस विवाद के बीच अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के बाद एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने और डीजे पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा, “अगर इस आदेश का पालन किया जाए और सभी समुदायों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाएं, तो इससे सभी को राहत मिलेगी।”
हिंदू संगठनों ने जताया विरोध
वहीं, हिंदू संगठन इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जता रहे हैं। संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा, “IAS अधिकारी को ऐसे विवादों में नहीं पड़ना चाहिए। शैलबाला का बयान हिंदू धर्म की आस्थाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। मंदिरों में जो आरती और मंत्रोच्चारण होते हैं, वे सुरीले ढंग से होते हैं। हम चिल्ला-चोट नहीं करते। अगर उन्हें आपत्ति है तो मस्जिदों में हो रही पांच वक्त की नमाज पर भी बोलें।” उन्होंने आगे कहा, “हिंदू धर्म के खिलाफ बोलना आसान हो गया है, लेकिन हमें हमारी आस्थाओं की सुरक्षा करनी होगी। हमने देखा है कि मोहर्रम के समय हिंसा होती है, मस्जिदों के पास अनैतिक कार्य होते हैं, इन मुद्दों पर भी विचार होना चाहिए।”
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पहले भी हो चुका है लाउडस्पीकर पर विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब मध्य प्रदेश में लाउडस्पीकर के मुद्दे पर विवाद हुआ है। इससे पहले भी राज्य में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ चुकी है। हाल के वर्षों में कई बार धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के उपयोग को लेकर प्रशासन और धार्मिक संगठनों के बीच तनाव हुआ है। इस बार IAS अधिकारी के बयान ने इस विवाद को एक नई दिशा दे दी है।
मध्य प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर छिड़ी इस बहस ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। एक तरफ जहां कांग्रेस इसे वाजिब मुद्दा बता रही है, वहीं हिंदू संगठन इसे धार्मिक आस्थाओं पर हमला मान रहे हैं। शैलबाला मार्टिन का बयान विवाद के केंद्र में है और इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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