Lucknow News: पढ़ाई के बोझ से तंग आकर न जाने कितने ही मासूम बच्चे आत्महत्या का रास्ता इख्तियार कर लेते है। राजधानी लखनऊ (Lucknow) में भी ऐसे मामले बढ़ते जा रहे है। लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर इलाके में रहने वाले एक छात्र ने पढ़ाई के दबाव के चलते सुसाइड कर लिया। 15 वर्षीय ऋषभ ने अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी। सुसाइड नोट से स्पष्ट होता है कि उसने यह कदम पढ़ाई के प्रेशर के चलते उठाया।
परिवार की उम्मीदें का बोझ
रामतेज अपने इकलौते बेटे ऋषभ का भविष्य बनाने के लिए बाराबंकी से दो साल पहले लखनऊ आए थे। ऋषभ की मां सुनीता बेटे की पढ़ाई पर ध्यान देती थीं और वह गोमतीनगर के एक प्राइवेट स्कूल में 8वीं क्लास का स्टूडेंट था। बुधवार को सुनीता मार्केट गई थीं, उसी दौरान ऋषभ ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सुनीता ने बताया, “हम अपने बेटे को बेहतर भविष्य के लिए लखनऊ लाए थे, लेकिन यह कदम उसके लिए घातक साबित हुआ।” उन्होंने बताया कि ऋषभ का शहर में पढ़ने का मन नहीं लग रहा था और वह कई बार वापस दादी या नानी के घर जाने की इच्छा व्यक्त कर चुका था।
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सुसाइड नोट की गवाही
सुसाइड नोट में ऋषभ ने लिखा था, “मम्मी, मैं पढ़ना नहीं चाहता, मुझे वापस दादी या नानी के घर भेज दो।” यह संदेश पढ़ाई के प्रेशर और अकेलेपन की उसकी तकलीफों को उजागर करता है। यह घटना राजधानी में पढ़ाई के प्रेशर के चलते स्टूडेंट के सुसाइड का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई स्टूडेंट्स ने पढ़ाई के तनाव के चलते अपनी जान दी है।
राजाजीपुरम की घटना
सेंट मैरी स्कूल के कैंपस में 10वीं की स्टूडेंट ने बोर्ड परीक्षा के तनाव में फांसी लगाकर जान दी थी। नौकरानी ने शव फंदे पर लटकता देख पेरेंट्स को सूचना दी थी। बीएससी नर्सिंग के छात्र अभिजीत ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। सुसाइड नोट में लिखा था कि वह अपने जीवन से परेशान हो गया था और इस जीवन को खत्म करने का वह खुद जिम्मेदार है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले भी कर रहे सुसाइड
महानगर निवासी सुरेश भार्गव के बेटे विदित भार्गव ने बीटेक करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हुए सुसाइड कर लिया था। सुसाइड नोट में लिखा था कि अब जीने की इच्छा नहीं है और बहुत कोशिश के बाद भी कुछ हो नहीं पा रहा है। गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर 9वीं क्लास के एक स्टूडेंट ने सुसाइड का प्रयास किया। मौके से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उसने अपनी स्कूल की मैडम से माफी मांगी थी।
भारत में आत्महत्या दर का आंकड़ा
एक स्टडी से पता चला है कि भारत में 15-29 वर्ष आयु वर्ग में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2022 में 13,000 से अधिक छात्रों ने सुसाइड किया था। इसमें 18 वर्ष से कम उम्र के 10,295 बच्चों ने आत्महत्या की, जिनमें लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या अधिक थी।
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चाइल्डहुड डिप्रेशन के मामले बढ़ते हुए
केजीएमयू में चाइल्ड साइकियाट्री के हेड डॉ. विवेक अग्रवाल के अनुसार, चाइल्डहुड डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ओपीडी में रोजाना 10-15 वर्ष के बीच के 3-4 बच्चे डिप्रेशन की समस्या के साथ आते हैं। बच्चों में डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियां, मारपीट, स्कूल में बुलिंग आदि शामिल हैं।
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बच्चों के व्यवहार पर रखें ध्यान
पैरेंट्स को बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान देना चाहिए। डॉ. विवेक अग्रवाल के अनुसार, कम बोलना, लोगों से अलग-थलग रहना, फ्रेंड से मिलने में कतराना, पसंदीदा खाने-पीने से दूरी, ज्यादा सोशल मीडिया का उपयोग करना और पढ़ाई में मन नहीं लगना जैसे लक्षण डिप्रेशन के संकेत हो सकते हैं।
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पेरेंट्स की जिम्मेदारी
पेरेंट्स को बच्चों की किसी भी बात को अनदेखा नहीं करना चाहिए और उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। बच्चों की फीलिंग्स का भी ध्यान रखना चाहिए और अपनी बातें उन पर थोपने से बचना चाहिए। बच्चों की बातों को गंभीरता से सुनें और समय रहते एक्सपर्ट से मिलें। पढ़ाई के प्रेशर से बचने और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पेरेंट्स को उनके बदलते व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें सपोर्ट देना चाहिए ताकि ऐसे दुखद कदमों को रोका जा सके।
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