Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने हाल ही में एक एलान किया है कि वह सत्ता में आते ही ‘अग्निवीर’ सैन्य भर्ती योजना को 24 घंटे के भीतर रद्द कर देंगे। यादव ने भाजपा सरकार की ‘अग्निवीर’ योजना पर हमला बोलते हुए इसे देश की सुरक्षा के साथ समझौता और सैनिकों के भविष्य से खिलवाड़ करार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी पुरानी भर्ती व्यवस्था की बहाली की मांग करेगी।
सीएम योगी ने की ‘अग्निवीर’ पर आरक्षण की घोषणा*
इस बयान के एक दिन बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने रिटायर ‘अग्निवीरों’ के लिए आरक्षण की घोषणा की। यह कदम भाजपा के लिए एक रणनीतिक पहल माना जा रहा है, जो आगामी चुनावों में सपा की आलोचना को काउंटर कर सकता है। आदित्यनाथ का यह बयान सपा के प्रस्ताव को सीधा जवाब माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने ‘अग्निवीर’ योजना की आलोचना की थी।
केशव प्रसाद मौर्य की तीखी प्रतिक्रिया
अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने उन्हें निशाने पर लिया। मौर्य ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए यादव के बयान को ‘जनता से झूठ’ करार दिया और कहा कि यादव 2024 के चुनाव में मिली सफलता से ‘गुब्बारे की तरह फूल गए हैं’। मौर्य ने यादव को 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनावों की हार याद दिलाई और दावा किया कि 2027 में भी यही परिणाम दोहराया जाएगा।
सपा प्रमुख का ‘मोहरा’ वाला बयान और भाजपा का पलटवार
अखिलेश यादव ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ‘मोहरा’ करार दिया था और आरोप लगाया था कि राज्य में भ्रष्टाचार की समस्या मौर्य जैसे लोगों के कारण उभरी है। यादव ने मौर्य को ‘दिल्ली के वाई-फाई के पासवर्ड’ जैसा भी करार दिया। इसके जवाब में मौर्य ने यादव पर कांग्रेस का ‘मोहरा’ बनने का आरोप लगाया और कहा कि यादव की बयानबाजी केवल उनके राजनीतिक हित साधने के लिए है।
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सियासी गर्मागर्मी के बीच 2024 की चुनावी पिच तैयार
अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही बयानबाजी ने उत्तर प्रदेश की सियासत को एक नई दिशा दे दी है। आगामी चुनावों को लेकर इस तरह की बयानबाजी यह दर्शाती है कि राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने आधार को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। इस सियासी ड्रामा के बीच, आम जनता को यह देखने की उम्मीद है कि इन आरोप-प्रत्यारोपों का उनके जीवन पर क्या असर पड़ेगा और कौन सी पार्टी 2024 के चुनावी रण में सफल होती है।
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