Lucknow News: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के एक चिकित्सक पर निजी अस्पताल में गले के ऑपरेशन के दौरान हुई एक मरीज की मौत के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले का संज्ञान लेते हुए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने दोषी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा संबंधित निजी अस्पताल की जांच भी आदेशित की गई है ताकि मरीज की मृत्यु के कारणों का पूरी तरह से पता चल सके।
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डिप्टी सीएम का कड़ा रुख, एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए केजीएमयू के कुलपति को निर्देश दिया है कि इस घटना की गहन जांच की जाए। उनके आदेशानुसार दोषी चिकित्सक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट पेश की जाए। डिप्टी सीएम ने कहा, “केजीएमयू के ईएनटी डॉक्टर द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस के दौरान मरीज की मृत्यु संबंधी खबरें सामने आई हैं, और इस प्रकरण पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। मैं चाहूंगा कि रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश की जाए ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।”
डिप्टी सीएम ने निजी अस्पताल में हुई इस घटना पर भी ध्यान केंद्रित किया है और संबंधित अस्पताल की विस्तृत जांच के लिए लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को निर्देश दिए हैं। उनकी प्राथमिकता है कि इस मामले की तह तक जाकर स्पष्ट किया जाए कि क्या चिकित्सकीय लापरवाही इसमें भूमिका निभाई है।
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एक अन्य मामले में भी जांच के दिए आदेश
डिप्टी सीएम पाठक ने एक अन्य मामले में भी जांच का आदेश दिया है। उन्होंने राज्य परिवार नियोजन सेवा नवाचार परियोजना एजेंसी (सिफ़्सा), लखनऊ में एक स्टेनो कर्मचारी द्वारा अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) और आत्महत्या का प्रयास करने के मामले को भी संज्ञान में लिया है। समाचारों में प्रकाशित इस खबर को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी सीएम ने कार्यकारी निदेशक, सिफ़्सा को तत्काल जांच कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासनिक सख्ती को लेकर उठ रहे सवाल
केजीएमयू के डॉक्टर द्वारा निजी प्रैक्टिस करते हुए मरीज की जान चले जाने के मामले ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग में खलबली मचा दी है। केजीएमयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के डॉक्टर पर लगे इन आरोपों ने स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। इसके अलावा, निजी अस्पताल की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस के दौरान उचित सुरक्षा मानकों के पालन न किए जाने की आशंका से अब इस मामले की जांच और अधिक व्यापक रूप से की जा रही है।
डिप्टी सीएम द्वारा दिए गए सख्त निर्देशों से स्पष्ट है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही या गलत आचरण को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर नियमों का पालन अनिवार्य है।
सरकारी दफ्तरों में भी पारदर्शिता की हो रही मांग
सिफ़्सा के कर्मचारी की आत्महत्या का प्रयास करने का मामला सरकारी दफ्तरों में हो रहे मानसिक प्रताड़ना के मुद्दे को भी उजागर करता है। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों को सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण प्रदान करना जरूरी है, ताकि वे बिना किसी दबाव के अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें। डिप्टी सीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की मानसिक प्रताड़ना के कारणों का भी पता लगाया जाएगा और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। डिप्टी सीएम द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद दोनों मामलों की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग और सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की इस पहल से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने की संभावना बढ़ेगी।