Lucknow News: उत्तर प्रदेश के शहीद पथ पर स्थित अहिमामऊ में शहबाजगंज की विवादित जमीन का मामला एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। शनिवार को उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की टीम ने इस जमीन को खाली कराने के लिए बुलडोजर के साथ कार्रवाई की। चौंकाने वाली बात यह है कि इस जमीन के 10 बीघे हिस्से को प्रॉपर्टी डीलर ने बेच दिया था, जिसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी जा रही है।
प्रॉपर्टी डीलर ने की 3 सालों से प्लॉटिंग
जानकारी के अनुसार, प्रॉपर्टी डीलर आलोक यादव ने पिछले तीन वर्षों के दौरान इस जमीन पर प्लॉटिंग की। इस दौरान, मकान खड़े होते रहे और अवैध कब्जा रोकने की जिम्मेदारी रखने वाले अभियंताओं की अनदेखी ने इस स्थिति को जन्म दिया। 2004 में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने इस जमीन के अधिग्रहण का गजट जारी किया था, लेकिन 20 वर्षों बाद भी इसका कोई उल्लेख आवास विकास की वेबसाइट पर नहीं किया गया और न ही जमीन पर कोई बोर्ड लगाया गया।
भू-राजस्व और योजना की अनदेखी
कल्याणी सोसाइटी के निवासियों का आरोप है कि उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर से प्लॉट खरीदे थे, जो 3500 से 4000 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से बेचे गए थे। 2021 से शुरू हुए इस प्लॉटिंग के सिलसिले में 200 से अधिक प्लॉट बेचे गए और सोसाइटी का आकार ले लिया। सोसाइटी में बने अधिकांश मकानों की कीमत एक करोड़ रुपये तक है। खरीदारों का कहना है कि अगर आवास विकास की जमीन थी, तो जिम्मेदार अधिकारी उस समय क्यों सोते रहे जब प्लॉट काटे जा रहे थे?
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बैंकों ने की थी थर्ड पार्टी जांच
मकान बनाने वाले कई लोगों को बैंकों ने लोन भी प्रदान किया था, और इन लोन की मंजूरी से पहले थर्ड पार्टी जांच की गई थी। आशीष पांडेय ने बताया कि बैंकों ने जांच के बाद ही लोन जारी किया था, जिससे यह जमीन वैध साबित हुई थी। इस संदर्भ में, लोगों का सवाल है कि जब किसानों ने मुआवजा लेकर जमीन को वापस कर दिया था, तो आवास विकास इसे अपनी जमीन कैसे कह सकता है? कल्याणी सोसाइटी के निवासियों और प्लॉट खरीदारों ने एक आम बैठक के बाद फैसला किया है कि वे न्याय के लिए अदालत का सहारा लेंगे। राजेश सिंह ने कहा कि उनके पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो आवास विकास के दावे को झुठलाते हैं और वे अदालत में यह मामला पेश करेंगे।
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आवास विकास की कार्रवाई की चेतावनी
उप आवास आयुक्त हिमांशु गुप्ता ने इस विवादित जमीन के बारे में बयान दिया है कि प्रॉपर्टी डीलर आलोक यादव ने अवैध रूप से प्लॉटिंग की और कल्याणी सोसाइटी का विकास किया। उन्होंने कहा कि सोसाइटी में रहने वालों को 15 दिन की मोहलत दी गई है, इसके बाद अवैध निर्माण को हटाने की मुहिम शुरू की जाएगी। अहिमामऊ में जमीन के विवाद ने न केवल प्रॉपर्टी डीलर की धोखाधड़ी को उजागर किया है बल्कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही को भी बेनकाब किया है। इस मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी योजनाएं और भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाएं केवल कागजों पर ही सीमित रह जाती हैं या वास्तव में प्रभावी होती हैं।
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