Lucknow News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि युवाओं को काम के तनाव से निपटने की शक्ति सिखाने के बजाय, सरकार को उनकी कार्य स्थितियों में सुधार करने पर ध्यान देना चाहिए। यादव ने कहा कि ऐसे प्रवचनों से युवाओं को और अधिक तनाव में डालने के बजाय सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
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वित्त मंत्री का बयान पर बवाल
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक निजी मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान युवाओं को स्ट्रेस मैनेजमेंट के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि देश के कॉलेजों में स्ट्रेस मैनेजमेंट पर पढ़ाई होनी चाहिए, ताकि युवा काम के दबाव को सही ढंग से संभाल सकें। सीतारमण ने इस दौरान EY (अर्न्स्ट एंड यंग) के पुणे कार्यालय में काम करने वाली एक युवा सीए अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत का उल्लेख किया था। पेरायिल की कथित तौर पर अधिक काम के दबाव के कारण जुलाई 2024 में मृत्यु हो गई थी।
इस बयान के बाद से विपक्षी पार्टियों और आम जनता के बीच नाराजगी का माहौल है। कई लोगों का मानना है कि सरकार ने काम के अत्यधिक दबाव और तनाव के मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाने के बजाय इसे केवल प्रवचन का विषय बना दिया है।
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अखिलेश यादव का कड़ा बयान
अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया और भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने लिखा, “देश के युवाओं को दबाव झेलने की शक्ति पैदा करने का प्रवचन देकर दुख के इस माहौल में युवाओं को और भी अधिक व्यथित करने वाली भाजपाई मंत्री महोदया से आग्रह है कि अगर उनकी सरकार कोई सांत्वना नहीं दे सकती, कोई सुधार नहीं कर सकती तो न करे, लेकिन इस घटना के संदर्भ में अपनी हृदयहीन और असंवेदनशील सलाह से जनाक्रोश न बढ़ाए।”
यादव ने भाजपा पर हमला जारी रखते हुए लिखा कि “देश के नौकरीपेशा लोगों को भाजपा से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि यह पार्टी पूंजीपतियों के सहारे ही आगे बढ़ी है, जो कर्मचारियों का शोषण करके अपने मुनाफ़े को बढ़ाते हैं। भाजपा सरकार उन्हीं पूंजीपतियों का साथ देती है, जो मुनाफाखोरी का एक हिस्सा सरकार को देते हैं।”
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नौकरीपेशा वर्ग की स्थिति पर उठाया सवाल
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि आज के समय में प्राइवेट और सरकारी नौकरी, दोनों में ही एक जैसा तनावपूर्ण माहौल है। लोग मजबूरी में नौकरी कर रहे हैं, और उनकी स्थिति बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि “नौकरीपेशा लोगों के पास बोलने तक का अधिकार नहीं है, और सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने के बजाय अनर्गल सुझाव दे रही है।”
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लखनऊ में भी पुणे जैसी घटना पर सपा प्रमुख का बयान
आज लखनऊ के एक एचडीएफ़सी बैंक में कार्यरत महिला की काम के दबाव के चलते अचानक मृत्यु हो गयी। इस बात पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करके कहा, “लखनऊ में एचडीएफ़सी की एक महिला कर्मचारी की काम के दबाव के चलते ऑफिस में मृत्यु की खबर बेहद चिंताजनक है। यह घटना देश की अर्थव्यवस्था के दबाव को दर्शाती है और कंपनियों तथा सरकारी विभागों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। किसी भी देश की असली प्रगति इस बात पर निर्भर करती है कि उसके लोग मानसिक रूप से कितने स्वस्थ और खुश हैं। भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण व्यवसायों पर दबाव बढ़ा है, जिससे कर्मचारियों पर कार्यभार बढ़ गया है। ऐसे में कंपनियों और सरकारी विभागों को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।”
अन्ना सेबेस्टियन का मामला
अखिलेश यादव के इस बयान के पीछे की वजह है अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की दुखद मौत। अन्ना ने वर्ष 2023 में चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा पास की थी और इसके बाद EY के पुणे कार्यालय में नौकरी ज्वाइन की थी। लेकिन चार महीने बाद, अत्यधिक काम के दबाव के कारण उनकी मौत हो गई। अन्ना की मां ने EY के चेयरमैन राजीव मेमानी को पत्र लिखकर बताया था कि उनकी बेटी पर अत्यधिक काम का बोझ था, जिससे वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान थीं। इसके बाद सरकार ने कहा था कि वे अकाउंट फर्म में काम के माहौल की जांच कराएंगे, लेकिन विपक्ष ने इसे सिर्फ एक दिखावा बताया है।
सरकार की नीतियां युवाओं के खिलाफ
अखिलेश यादव के बयान ने यह साफ कर दिया है कि विपक्ष सरकार की नीतियों को युवाओं और नौकरीपेशा वर्ग के खिलाफ मानता है। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ पूंजीपतियों का हित साधने में लगी है और आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। अखिलेश यादव का यह बयान भाजपा सरकार के प्रति आम जनता के बीच बढ़ते असंतोष का प्रतीक है, खासकर उन युवाओं के लिए जो काम के अत्यधिक दबाव और तनाव से जूझ रहे हैं।
अखिलेश यादव के इस बयान ने भाजपा सरकार पर एक नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह नौकरीपेशा वर्ग की समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या सिर्फ प्रवचनों तक सीमित रहेगी।