यूपी (प्रतापगढ़): संवाददाता – गणेशराय
प्रतापगढ़। आज से पुरुषोत्तम मास प्रारंभ हो गया है इसे मलमास या अधिकमास भी कहते हैं। यह अधिकमास 18 जुलाई दिन मंगलवार से 16 अगस्त दिन बुद्धवार के मध्य सम्पन्न होगा।
एक बार यह मलमास भगवान श्री हरि के पास गया और कहा कि प्रभु आपने मुझे बनाया लोग मेरे इस नामकरण के कारण हेय दृष्टि से देखते हैं। भगवान श्रीमन्नारायण ने कहा कि हे मलमास मैं अपना नाम पुरुषोत्तम तुम्हें दे रहा हूं। और जो भी तुम्हारे इस मास में हमारी पूजना अर्चन ,दान इत्याधिक देगा तीर्थों का तीर्थाटन करेगा उसको अनंत फल की प्राप्ति होगी।
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19 साल बाद लगा पुरुषोत्तम मासः
यह पुरुषोत्तम मास प्रत्येक 3 वर्षों बाद आता है। अबकी बार सावन के महीने में 19 वर्ष बाद यह पुरुषोत्तम मास लगा है। भगवान श्री जगन्नाथ जी को यह पुरुषोत्तम मास इतना प्रिय है कि आषाढ़ के महीने में जब पुरुषोत्तम मास आता है तब भगवान श्री जगन्नाथ जी का नव कलेवर होता है। इसी पुरुषोत्तम मास में अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया था।
सनातन धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। सम्पूर्ण भारत की सनातन धर्म परायण जनता इस पूरे मास मे पूजा-पाठ, भगवद्-भक्ती, व्रत-उपवास, यज्ञ-अनुष्ठान, भागवत कथा, विष्णु सहस्र नाम पाठ का पारायण करती है । इस मास में भगवान श्री हरि नाम संकीर्तन सुंदरकांड का पाठ ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अपने गुरु द्वारा प्राप्त मंत्र का भी इस माह में जप अत्यधिक रूप से करना चाहिए।
सांयकाल करें दीपदानः
ऐसी मान्यता है कि अधिकमास मे किये गये धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह मे किये गये पूजा-पाठ से सहस्त्र गुना अधिक फल मिलता है। सायंकाल माता तुलसी के वृक्ष के निकट दीप दान करना चाहिए। दीपदान का विशेष महत्व है भगवान को तुलसी अत्यंत प्रिय है।
श्री विष्णु भगवान इस मास के अधिपति हैं इसलिए अधिकमास मे श्री विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना का अत्यधिक महत्व बताया गया है।
दासानुदास ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम कृपा पात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमण रामानुज दास पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथपुरी एवं पीठाधीश्वर श्री नैमिषनाथ भगवान रामानुज कोट अष्टम भू वैकुंठ नैमिषारण्य ।