लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
जानें विजय कुमार सिंह का जीवन
जनरल विजय कुमार सिंह भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी हैं जो कि भारतीय सेना के 26वें चीफ ऑफ स्टाफ रहे हैं। जनरल विजय कुमार सिंह, परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल, भारतीय सेना को 26वें थल-सेनाध्यक्ष थे। वे ऐसे पहले ट्रेंड कमांडो रहे हैं जिन्हें जनरल के पद पर प्रोन्नत किया गया था और इसके साथ ही वे पहले ऐसे सेना प्रमुख भी रहे हैं जिन्होंने जन्म तिथि पर विवाद के चलते सरकार को कोर्ट में घसीट लिया था।
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वहीं अगर बात करें विजय कुमार के जीवन और शिक्षा की तो विजय कुमार सिंह भारतीय राज्य हरियाणा के भिवानी ज़िले के बपोरा गाँव से हैं। वो लगातार तीसरी पीढ़ी में अधिकारी हैं। उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल थे और उनके दादा जूनियर कमीशन अफ़सर (JCO) थे। उन्होंने अपनी शिक्षा बिड़ला पब्लिक स्कूल, पिलानी, राजस्थान से प्राप्त की।
विजय कुमार सिंह पारिवारिक जीवन और शिक्षा
जनरल विजय कुमार सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एडीसी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय सेना से सेवानिवृत्त चार सितारा जनरल हैं इनका जन्म 10 मई 1950 को एक राजपूत के तोमर वंश परिवार में कर्नल जगत सिंह, जो उस समय भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट की 14वीं बटालियन में अधिकारी थे, और मां कृष्णा कुमारी के घर पुणे के सैन्य अस्पताल में हुआ था। जिनकी जड़ें हरियाणा के भिवानी जिले के बापोरा गांव में थीं। वो लगातार तीसरी पीढ़ी में अधिकारी हैं।
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उनके दादा, दफादार मुखराम सिंह, तीसरी घुड़सवार सेना में कार्यरत थे। उनके पिता के सभी पांच भाइयों ने सेना में सेवा की, या तो स्किनर्स हॉर्स या 7वीं राजपूत रेजिमेंट में शामिल हुए। उनके नाना सूबेदार शिंबू सिंह भी सेना में कार्यरत थे और गुड़गांव जिले के बोहरा कलां गांव के रहने वाले थे। उनके गांव की स्थापना राजपूत शासकों द्वारा की गई थी और वह अक्सर मुगलों के साथ लड़ाई में शामिल रहे और कई योद्धाओं को जन्म दिया। वह ब्रिटिश काल से सेना में सेवा करने वाले लोगों से प्रेरित थे।
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एक समय ऐसा आया जब विजय सिंह की माँ को लाइलाज कैंसर हो गया और 1952 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके पिता के पुनर्विवाह से पहले उनका पालन-पोषण उनके नाना-नानी ने किया था और वह कुछ वर्षों के लिए उनके साथ रहने चले गए। महज 8 साल की उम्र में उन्होंने राजस्थान के पिलानी के एक बोर्डिंग स्कूल, बिड़ला पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। वह अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान राष्ट्रीय कैडेट कोर में शामिल हुए और तीनों विंगों में सेवा की।
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विजय कुमार सिंह का व्यक्तिगत जीवन
विजय कुमार की शादी भारती सिंह से हुई है। भारती ने एक घटना की शिकायत की जिसमें गुरुग्राम के एक व्यक्ति द्वारा ब्लैकमेल और जबरन वसूली का मामला। विजय कुमार की और भारती सिंह की दो बेटियां हैं, योगजा सिंह और मृणाली सिंह। योगजा का विवाह डॉ. अनिरुद्ध सिंह से हुआ है जो लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह के पुत्र हैं। रक्षा और राजनीति में अपने करियर के अलावा, विजय कुमार की रुचि खेल, घुड़सवारी और पढ़ना है। उन्होंने भारतीय सेना में अपने करियर और अनुभव को कवर करते हुए एक आत्मकथा, करेज एंड कन्विक्शन लिखी है।
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विजय कुमार सिंह का राजनीतिक सफर
विजय कुमार मोदी के दूसरे मंत्रालय में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में वर्तमान राज्य मंत्री हैं। उन्होंने पहले मोदी मंत्रालय में विदेश राज्य मंत्री, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने सैन्य करियर के दौरान, सिंह ने 2010 से 2012 तक 24वें सेनाध्यक्ष (सीओएएस) के रूप में कार्य किया। विजय सिंह ने अपनी जन्मतिथि और उसके बाद के विवाद में भारत सरकार को अदालत में घसीटा।
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सेना से सेवानिवृत्ति के बाद, सिंह 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए और उस वर्ष के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए संसद सदस्य के रूप में चुने गए। वह 2019 में उसी सीट पर फिर से चुने गए।
वर्तमान में वे गाज़ियाबाद से भाजपा के सांसद है तथा नरेंद्र मोदी सरकार में उत्तर-पूर्वी भारत से संबंधित मामलों के राज्यमंत्री और मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री रहे। वर्तमान में गाजियाबाद लोक सभा से दुबारा जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं और भारत सरकार में सड़क, परिवहन एवं राष्ट्रीय राज्यमार्ग राज्य मंत्री है।
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सैन्य करियर
सेना में सिंह का करियर 14 जून 1970 से 2012 तक 42 वर्षों तक चला। उनको राजपूत रेजीमेंट की द्वितीय वाहिनी (काली चिण्डी) में नियुक्त किया गया। उन्होंने अपना करियर तब शुरू किया जब उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होने के बाद राजपूत रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में नियुक्त किया गया और सेनाध्यक्ष (भारत) के रूप में सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए। वह कई युद्धों का हिस्सा रहे हैं और कई सेना सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
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सेवा निवृत्ति
विजय सिंह 31 मई 2012 को 26 माह की सेवा के बाद थल-सेनाध्यक्ष के पद से मुक्त हुए। उनके बाद इस पद पर बिक्रम सिंह पदस्त हुए।सेवानिवृत्ति के तुरन्त बाद सिंह ने अन्ना हजारे द्वारा चलाये जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन प्रदर्शित किया।
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सम्मान और पुरस्कार
11 मार्च 2011 को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी वर कॉलेज (2001के स्नातक वर्ग में) ने इंटरनेशनल फेलोज हॉल ऑफ़ फेम (अंतर्राष्ट्रीय अध्येता) से प्रतिष्ठापित किया। अंतर्राष्ट्रीय अध्येता के रूप में नवाजे गये वो प्रथम भारतीय सेना-अधिकारी एवं कुल 33वें व्यक्ति हैं।
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भारतीय सैन्य अकादमी
एनडीए से स्नातक होने के बाद, उन्होंने जून 1969 में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में प्रवेश किया। उन्हें अकादमी में ‘कैसिनो’ कंपनी को सौंपा गया। अपने चौथे कार्यकाल में उन्हें सीनियर अंडर ऑफिसर (एसयूओ) नियुक्त किया गया। वह 1970 में आईएमए से पास आउट हुए और मेरिट सूची में शीर्ष दस में रहे।
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मध्य कैरियर (1978-1994)
अप्रैल 1978 में, सिंह अपनी बटालियन में वापस आ गए जिसे नियंत्रण रेखा पर अपने परिचालन कार्यकाल के लिए पुंछ जाना था । इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने बटालियन की ‘ए’ कंपनी की कमान संभाली। उस वर्ष के बाद में उन्हें भूटान में भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल (IMTRAT) में तैनात किया गया। उन्होंने लगभग दो वर्षों तक IMTRAT में प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया। भूटान से लौटने के बाद, उन्हें फतेहगढ़ में राजपूत रेजिमेंट (25 राजपूत) की 25वीं बटालियन, एक नई इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें बटालियन की डेल्टा कंपनी की कमान सौंपी गई।
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विजय कुमार सिंह ने 1991 की हिंदी फिल्म जगत में काम किया उन्होंने “द फाइनल अटैक” में एक छोटी सी भूमिका भी निभाई, जिसमें नाना पाटेकर, माधुरी दीक्षित और डिंपल कपाड़िया ने अभिनय किया था।
(1994-2012) तक का कैरियर
- जून 1994 में, सिंह को आर्मी वॉर कॉलेज, महू में हायर कमांड कोर्स में भाग लेने के लिए चुना गया था। दस महीने के कोर्स के बाद, उन्हें जोधपुर में 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन का कर्नल जनरल स्टाफ (कर्नल जीएस) नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति में उन्होंने दो डिवीजन कमांडरों के अधीन करीब तीन साल बिताए।
- 1998 में, उन्हें कार्यवाहक ब्रिगेडियर के रूप में पदोन्नत किया गया और सांबा, जम्मू और कश्मीर में 168 इन्फैंट्री ब्रिगेड का कमांडर नियुक्त किया गया। ब्रिगेड कमांडर के रूप में, उनकी कमान के तहत चार पैदल सेना बटालियन और दो सीमा सुरक्षा बल इकाइयां थीं। उनकी कमान के एक साल बाद ही कारगिल युद्ध छिड़ गया और सभी इकाइयाँ हाई अलर्ट पर थीं।
- 2000 के मध्य तक ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे। जून 2000 में, सिंह को संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्लिस्ले, पेंसिल्वेनिया में यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी वॉर कॉलेज में भाग लेने के लिए चुना गया था। उन्होंने वॉर कॉलेज में अच्छा प्रदर्शन किया और पाठ्यक्रम में उन्हें ‘असाधारण’ ग्रेड दिया गया। कोर्स के बाद, वह भारत लौट आए और उन्हें जालंधर स्थित XI कोर का ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ (बीजीएस) नियुक्त किया गया।
- जब 2001 के भारतीय संसद हमले के मद्देनजर सीमा पर भारतीय सैनिक तैनात थे। सिंह को मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया और जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) विक्टर फोर्स नियुक्त किया गया- जो जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में एक डिवीजन-आकार का गठन है। विक्टर फोर्स अनंतनाग , पुलवामा , शोपियां , कुलगाम और बडगाम जिलों के लिए जिम्मेदार है।
- जीओसी विक्टर फोर्स के रूप में उनकी विशिष्ट सेवा के लिए, उन्हें 26 जनवरी 2003 को अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। डेढ़ कार्यकाल के बाद, उन्होंने XV के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) के रूप में पदभार संभाला।
- सीओएस और कार्यवाहक कोर कमांडर के रूप में, वह 2005 के विनाशकारी कश्मीर भूकंप के बाद राहत कार्यों में शामिल थे, जो 1935 के क्वेटा भूकंप के बाद दक्षिण एशिया में आया सबसे घातक भूकंप था।
- 15 अप्रैल 2006 को, सिंह को लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया और उसके तुरंत बाद अंबाला में जनरल ऑफिसर कमांडिंग II कोर नियुक्त किया गया। वह लगभग दो वर्षों तक स्ट्राइक कोर के प्रमुख रहे।
- 25 फरवरी 2008 को, उन्हें आर्मी कमांडर ग्रेड में पदोन्नत किया गया और पूर्वी कमान का जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ नियुक्त किया गया।
- सर्वोच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए, उन्हें 26 जनवरी 2009 को परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
- जनरल सिंह को 31 मार्च, 2010 को सेना प्रमुख बनाया गया था और सेना प्रमुख बनने वाले वे पहले कमांडो थे। उनके करियर के अंतिम समय में उनकी जन्म तिथि को लेकर विवाद हुआ था और इसके कारण वे सेना के पहले ऐसे सेवारत अधिकारी बने जिन्होंने सरकार को कोर्ट में घसीट लिया था।
- नेशनल डिफेंस अकादमी में 1965 में प्रवेश के दौरान संभवतः उनकी गलत जन्म तिथि दर्ज हो गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘हस्तक्षेप से इंकार कर दिया जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली। कोर्ट का कहना था कि उनकी वास्तविक जन्म तिथि को लेकर कोई विवाद नहीं है वास्तव में यह विवाद जन्म तिथि को दर्ज किए जाने को लेकर है। कोर्ट का कहना था कि सिंह ने अपनी गलत रिकॉर्ड की गई जन्म तिथि को प्रमोशन के दौरान तीन बार स्वीकार किया था और उन्हें इस मामले को बहुत पहले उठाना चाहिए था।
- जनरल सिंह को उनके सेवा काल के दौरान सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल दिया गया। उन्हें अमेरिकी युद्ध कौशल कॉलेज में भी पढ़ने का अवसर मिला। सिंह 31 मई, 2012 को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए और सेना प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल करीब 26 महीनों का रहा। उनके बाद जनरल बिक्रम सिंह को नया सेना प्रमुख बनाया गया है। अपने रिटायरमेंट के बाद सिंह ने अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दिया है और संभव है कि वे इसमें सक्रिय भूमिका भी निभाएं।
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विजय कुमार सिंह का राजनीतिक घटनाक्रम
विजय कुमार सिंह गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र, उत्तर प्रदेश से आईएनसी पार्टी के राज बब्बर को हराकर 16 वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। 27 मई 2014 – 9 नवंबर 2014: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर पूर्वी क्षेत्र का विकास, विदेश मंत्रालय और प्रवासी मामले। 9 नवंबर 2014 से 16 फरवरी 2016 तक केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, केंद्रीय राज्य मंत्री, विदेश मंत्रालय और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय के सेदस्य रहे।
16 फरवरी 2016 केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, केंद्रीय राज्य मंत्री, विदेश मंत्रालय। 5 जुलाई 2016 को उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री, विदेश मंत्रालय के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं गाजियाबाद लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा के विजय कुमार सिंह ने 944503 वोट पाकर जीत हासिल की है।