लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
आपको बता दे कि वर्तमान में सदन में 543 सीटें हैं। जो अधिकतम 543 निर्वाचित सदस्यों के चुनाव से बनती हैं। मगर जब यूपी की बात करेंगे तो यूपी में 80 सीटें हैं।
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कानपुर कैसे बना
यूपी के कानपुर शहर की स्थापना सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी, बतादे कि कानपुर का मूल नाम कान्हपुर था। वहीं ये भी माना जाता हैं कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीसामऊ गाँवों के मिलने से बना था। वहीं यह भी मान्यता है कि पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर का शासन भी कन्नौज तथा कालपी के शासकों के हाथों में रहा और बाद में मुसलमान शासकों के 1773 से 1801 तक अवध के नवाब अलमास अली का यहाँ शासन रहा। वहीं 1773 की संधि के बाद यह शहर अंग्रेजों के शासन में आया, परिणाम स्वरूप देखा जाएं तो 1778 ई. में यहां अंग्रेजों ने गंगा तट पर छावनी बनाई, गंगा तट पर स्थित होने के कारण यहां यातायात और उधोग धंधों की सुविधा थी। जिसके चलते अंग्रेजों ने यहाँ उद्योग धंधों को जन्म दिया जिसके कारण नगर का विकास का प्रारंभ हुआ।
कानपुर शहर में सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने नील का व्यवसाय शुरू किया। 1832 में ग्रैंड ट्रंक सड़क के बन जाने पर यह नगर इलाहाबाद से जुड़ गया। 1864 ई. में लखनऊ, कालपी आदि मुख्य स्थानों से सड़कों द्वारा जोड़ दिया गया। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण भी हो गया। जिसके चलते यातायात के इस विकास से नगर का व्यापार फिर तेजी से बढ़ा।
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कानपुर की लोकसभा सीट का इतिहास
वहीं अगर बात करें चुनाव को लेकर वर्तमान में कानपुर में तो वर्तमान में कानपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में पाँच विधानसभा क्षेत्र हैं। वो हैं- गोविन्द नगर, सीसामऊ, आर्य नगर, किदवई नगर, कानपुर छावनी।
कानपुर लोकसभा सीट कभी कम्युनिस्ट, कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के गढ़ के रूप में मशहूर रही। ‘लेदर सीटी’ नाम से मशूहर कानपुर सीट पर फिलहाल ‘कमल’ का कब्जा है। 2014 में बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी ने चुनावी मैदान में जीत का हैट्रिक लगाये और कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल को करारी मात दी थी और यहां भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रहे थे। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनावों में भी कानपुर से बीजेपी जीती थी।
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कानपुर लोकसभा सीट के राजनीति दलों की स्थिति
पहला 1951-57 तक चुनाव में कांग्रेस के हरिहर नाथ शास्त्री, शिव नारायण टंडन, राजाराम शास्त्री रहे।
दूसरा 1957-60 एसएम बनर्जी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कानपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया।
तीसरा 1962-67 एसएम बनर्जी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता।
चौथा 1967-71 एसएम बनर्जी
पांचवां 1971-77 एसएम बनर्जी कानपुर से चार बार लोकसभा चुनाव जीते।
छठा 1977-80 भारतीय लोकदल से मनोहर लाल जीते।
सातवां 1980-84 आरिफ मोहम्मद अहमद खान की जीत के साथ कांग्रेस की दोबारा कानपुर संसदीय सीट पर वापसी हुई।
आठवां 1984-89 नरेश चंद्र चतुर्वेदी
नौंवा 1989-91 सुभाषिनी अली
दसवां 1991-96 जगतवीर सिंह द्रोण
11वां 1996-98 जगतवीर सिंह द्रोण
12वां 1998-99 जगतवीर सिंह द्रोण
13वां 1999-04 श्रीप्रकाश जायसवाल
14वां 2004-09 श्रीप्रकाश जायसवाल
15वां 2009-14 श्रीप्रकाश जायसवाल
16वां 2014- तक मुरली मनोहर जोशी
17वां 2019 से वर्तमान तक सत्यदेव पचौरी।
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कानपुर का जातीय समीकरण
कानपुर की जनगना का समीकरण देखा जाए तो यहां पर लगभग 5081000 हैं, जिसमें से ग्रामीण की संख्या देखे तो लगभग 1566000 में हैं, और शहरी संख्या को लेकर देखा जाए तो 3016000 हैं। वहीं अनुसूचित जाति को लेकर देखा जाए तो लगभग 817000 में जनसंख्या हैं। वहीं एसटी को लेकर देंखे तो लगभग 3750 संख्या अनुमानित हैं। लोकसभा सीट में कुल जनसंख्या 16 लाख से अधिक है। इसमें ब्राह्मण वोटरों की संख्या 7 लाख से ज्यादा होने के चलते कानपुर लोकसभा सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या इस सीट पर चार लाख से ज्यादा एवं दलित, अन्य पिछड़े वर्गों की संख्या तकरीबन दो लाख है।
लोकसभा चुनाव को लेकर सांसद सत्यदेव पचौरी का राजनीति सफर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सत्यदेव पचौरी उत्तर प्रदेश सरकार में खादी और विलेज इंडस्ट्रीज मंत्री के रूप में अपना पदभार संभाल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने गोविंदनगर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विजय प्राप्त की है और वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री भी हैं।
लोकसभा चुनाव को लेकर निष्कर्ष
लोकसभा चुनाव को लेकर कानपुर में तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि यूपी में बिजेपी जीत का परचम काफी लंबे समय से लहर रहा हैं मगर विपक्षी दलों ने भी NDA को टक्कर देने के लिए I.N.D.I.A का गठबंधन बना लिया हैं और अब देखना ये हैं कि लोकसभ चुनाव 2024 को लेकर किसकी तैयारी रंग लाएगी और कांग्रेस, सपा, भाजपा में किसका परचम लहरेगा।