Mother Teresa: देश में कुछ ऐसें व्यक्ति है जो आज भी लोगो के दिलो में राज करते है। जैसे कि मदर टेरेसा। इनका नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। आपको बता दे कि मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन प्रेरणादायक व बिना किसी स्वार्थ के लोगो के प्रति प्रेम, मोह में व्यतीत कर दिया। जो कि मरने के बाद भी आज लोगो के दिलो पर राज कर रही है।
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सरल व उच्च विचारो वाली थी
मदर टेरेसा बहुत ही सरल व उच्च विचारो वाली थी। मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में स्कॉप्जे में हुआ था। इनके पिता जी एक व्यवसायी थे। बता दे कि मदर टेरेसा का नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था और इनके नाम का अर्थ कली से था कहते है कि जितना सुन्दर नाम का अर्थ है। उतनी ही सुन्दर थी। यही नही इनका आचरण बहुत ही दानी व प्रेम से भरा हुआ था और बताना चाहेगे कि पढाई के साथ -साथ गाने में भी बहुत अच्छी थी।
अंग्रेजी सिखने के लिए आयरलैंड जाना पड़ा
यह और इन बहन पास के ही गिरजाघर में मुख्य गायिकाएं थी। जब यह मात्र 12 वर्ष कि थी तभी से उन्हें अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और जब 18 वर्ष कि उम्र में इन्होंने नन में शामिल होने का फैसला कर लिया और इनके जीवन से समस्या अभी गयी नहीं थी। इनको अंग्रेजी सिखने के लिए आयरलैंड जाना पड़ा क्यों कि बिना अंग्रेजी के भारत के बच्चो को नहीं पढा सकती थी और फिर उन्हे मौका मिला नन बनकर भारत के बच्चों को पढाने का।
मदर टेरेसा की आयरलैंड से भारत वापसी
आयरलैंड से अंग्रजी भाषा सिख कर 6 जनवरी, 1929 को भारत लौटी और कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट पंहुचीं और वहॉ पर अध्यापन का काम किया और साथ ही भारत के बच्चों को शिक्षा देना प्रारम्भ कि पर धिरे धिरे उन्हें कोलकाता के गरीबो बच्चों ,आदमी , महिलावों पर दया आने लगी वह सोचने लगी कि मैं इनका रुप मे मदद करु क्यों कि मदर टेरेसा जिस लोरेटो कॉन्वेंट में अध्यापक थी वहॉ का नियम था कि लोरेटो कॉन्वेंट को छोड नही सकती थी लेकिन मेहनत करने के बाद उन्हें सरकार कि तरफ से आदेश मिल गया और वह वर्ष 1948 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की सेवा का संकल्प ले कर लिया ।
मदर टेरेसा: पुरस्कार
- मदर टेरेसा ने 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता
- भारत रत्न पुरस्कार 1980 में मिला
- पद्म श्री 1962 में मिला ,आदि अन्य पुरस्कार मिले थे ।
अनाथ बच्चो के लिए भी आनाथ आश्रम बनवाये
मदर टेरेसा जी ने बिहार में नर्सिंग कि ट्रेंनिग कि फिर वापस कोलकाता आकर वहॉ के लोगो के बहुत सेवा कि साथ ही साथ उन्होंने अनाथ बच्चो के लिए भी आनाथ आश्रम बनवाये। मदर टेरेसा जी गरीबो के लिए हमेशा मसीहा बनकर उनके सामने आयी। कोलकाता के लोगो को भी उतना ही उनसे प्रेम था। जितना मदर टेरेसा जी को था। मदर टेरेसा जी ने अपना पूरा जीवन गरीब लोगे के प्रति न्यौछावर कि थी। वह इतनी प्रतिभा शाली थी कि मृत्यु के समय भी 123 देशों 610 मिशन चला रही थी जो कि AIDS ,HIV, तपेदिक ,कृष्ट रोगो से ग्रसित लोगो के लिए घर्मशालाए व घर बनायी थी। उनकि मृत्यु लोगो कि सेवा करते 5 सितंम्बर 1997 में हो गयी ।