Health : आज की समय में हर व्यक्ति तनाव से पीड़ित है। वहीं दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसको तनाव ना होता हो। बता दे कि ज्यादा तनाव शरीर के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है। वहीं ये तनाव जब आवश्कता से ज्यादा होने लगता है तो ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हमें बहुत परेसान करने लगती है। वहीं लोगो कि समझने की शक्ति धीरे -धीरे खत्म होने लगती है व उनका दिमाग कभी एक जगह स्थायी नहीं रहता है।
इस समस्या से धीरे धीरे उस व्यक्ति को ज्यादा दिक्कत होने लगती है।वहीं तनाव से पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्या को किसी और लोगो को बताने से भी डरता है । क्योकि उसे यह डर लगने लगता है कि कहीं वो मानसिक व पागल तो नहीं हो रहा है। जबकि तनाव से हर एक व्यक्ति को यहीं समस्या होती है और यह बिमारी नहीं होती है जबकि ये तनाव के लक्षण होते है।
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तनाव का कारण
तनाव डिप्रेशन का एक प्रकार होता है। तनाव जब होता है जब व्यक्ति अपने दिमाग में नाकारात्मक सवालों को हावी कर लेते है जिससे दिमाग पर बहुत ही खराब असर होता है और धीरे -धीरे उनके सोचने कि स्मरण शक्ति खत्म होने लगता है वो अपने को पागल समझने लगता है। तनाव कि समस्या अकेलापन, खान-पान में कमी, पानी का कम सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी इन सभी के कारण तनाव कि समस्या उत्पन होता है। अगर व्यक्ति हद से ज्यादा तनाव लेते है तो मस्तिष्क ही से कार्य करने असक्षम हो जाता है।
इसके होनें का लक्षण
- सर में दर्द
- दांत और जबड़े पीसना
- शरीर में थरथराहट होना
- उदास रहना
- किसी काम में दिल ना लगना
- ज्यादा सोना या कम सोना
- ज्यादा खाना या कम खाना
- किसी बात पर ध्यान ना देना
ज्यादा अकेला रहने लगना
तनाव कि सबसे बड़ी समस्या तब उत्पन होती है जब व्यक्ति सबसे ज्यादा अकेला रहने लगता है क्योंकि ज्यादा अकेले रहने से दिमाग में नाकारात्मक ऊर्जा उत्पन होने लगती है। इसी वजह से लोग ज्यादा तनाव के शिकार होते है।
खान-पान में कमी होना
तनाव मे अक्सर लोग खाने में ध्यान नहीं देते है क्यों कि जब व्यक्ति तनाव से ज्यादा ग्रसित होने लगता है तो उसे ना तो खाने का मन करता है और ना कहीं जाने का मन पीड़ित व्यक्ति अक्सर जब भोजन करते है तो वह सदैव अनहेल्दी व्यंजन को ग्रहण करते है जिससे उन्हें कब्ज जैसी समस्या होने लगती है।
पानी का कम सेवन करना
डिप्रेशन में अक्सर लोग धीरे -धीरे पानी को सेवन करना बंद कर देते है और उनका शरीर में धीरे- धीरे नमी की कमी होने लदती है और यह बाद में कब्ज का कारण बनता है।
शारीरिक गतिविधियों की कमी
डिप्रेशन में अक्सर व्यक्ति अकेला महसूस करने लगता है और पीड़ित व्यक्ति का धीरे -धीरे शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना बंद कर देता है जिससे कि इससे आंतों की गति धीमी हो जाती है।