Hindu Religion: जीवन के हर पड़ाव पर हम हर दिन कुछ न कुछ नया सीखते रहते है। कहते है सीखने की कोई अवस्था या उम्र नहीं होती है, जो की बेहद सही बात है। लेकिन यदि हम अपने प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन करें, तो हमें पता चलता है कि मां के गर्भ में बच्चा भी सीखने का प्रयास करता है, तभी तो सुभद्रा के गर्भ में रहकर अभिमन्यु ने चक्रव्यूह-भेदन की कला सीखी ली थी।
छोटे बच्चे में सीखने की चाहत बहुत होती है, जिसकी वजह से बच्चा बहुत जल्दी कुछ भी सीख जाता है। फिर वह अच्छी चीज हो या बुरी, ठीक उसी प्रकार जब घर में बूढ़े लोग कुछ भी पढ़ते थे, तो बच्चों को बहुत जल्दी याद हो जाता था। जैसे कि रामयण, महाभारत या फिर हमारे ग्रंथो के बारे में हो, या मंत्रो को उच्चारंण हो। तो आइये आज हम अपने ग्रन्थों के माध्यम से अपने संस्कृति से जुड़ते हैं और उन प्राचीन रहस्यमयी किताबों के बारें में जानते जिसे हम कुछ ना कुछ सीख सकते है।
रामायण
रामायण जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी रामायण हमें परिवार के प्रति एकजुटता करना सीखाती हैं, रामायण में भगवान श्री राम संग चारों भाई और माता सीता की गाथा मर्यादा रहित जीवन जीने की सीख देती हैं, अयोध्या के चारों भाईयों से समर्पण की सीख मिलती हैं। राम के प्रति हनुमान की निश्चल भक्ति की सीख मिलती हैं। ये ग्रन्थ हमें जीवन में जीने की कला सिखाती हैं। हिंदू धर्म परंपरा में इन महाकाव्यों का अपना बड़ा ही खास महत्व है।
महाभारत
महाभारत हजारों-लाखों साल पुराने ग्रन्थों में से एक हैं। हिंदू धर्म परंपरा में हमारे महाकाव्यों का अपना बड़ा ही खास महत्व है। महाभारत को लेकर लिखी गई श्री मद्भागवत गीता जो हमें समाज और परिवार में जीवन जीना सिखाती हैं। जो स्त्री के प्रति मान और सम्मान के लिए कदम उठाना सिखाती हैं। गीता में मिले श्री कृष्ण के उपदेश जिसने समर्पण, त्याग, प्रेरणा, भाव, भक्ति, प्रेम, मान-सम्मान के लिए लड़ना, रिश्ते में सही-गलत पर फैसला लेना, धर्म सर्वोपरि हैं, आत्मा अजर-अमर है इसलिए कर्म पर ध्यान पर दें मोह पर नहीं। गीता में दिए गए उपदेश्य को अब हमारी संस्कृति और हमारा समाज भूलने लगा जिसके कारण समाज में आएं दिन बढ़ते पाप हमारे देश को विनाश की तरफ ले जा रहे हैं।
आखिर सनातन धर्म परंपरा में केवल रामायण की ही पूजा क्यों होती है ?
आपको बता दें कि रामायण और महाभारत दोनों महाकाव्य जरूर हैं, लेकिन दोनों की रचनाओं में मौलिक अंतर है। रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन का वर्णन है। राम कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक अवतार हैं। वह विष्णु अवतार के रूप में त्रेता युग में धरती पर अवतरित हुए थे। उनको साक्षात भगवान का दर्जा दिया गया है। उनको अच्छाई का प्रतीक बताया गया है। राम की भक्ति की जाती है। सनातन धर्म में राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम का दर्जा दिया गया है। उनके राज को रामराज की संज्ञा दी गई है। यानी एक ऐसा राज जहां हर एक प्रजा खुश रहे। इस कारण राम के साथ-साथ उनके बारे में वर्णित कथा शास्त्र रामायण की भी पूजा की जाती है।
महाभारत रामायण से पूरी तरह अलग है। जहां रामायण एक भगवान के जीवन और उनके संघर्षों के बारें में बात करते है, वहीं महाभारत में एक घटना का जिक्र है। महाभारत में राजपाट के लिए दो पक्षों के बीच हुए खूनी घटना को बताया गया है। इसमें उन सभी चीजों का वर्णन है, जो एक युद्ध के मैदान में अपनाया जाता है। इसमें शाम, दंड, भेद हर चीज का जिक्र है।
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श्रीमद् भगवद् गीता
जिस तरह हम अपने हर रोज के जीवन में संवादहीनता के कारण कई बार गलतफहमियों के शिकार बन जाते हैं और जिसके कारण हम सही अर्थ को समझने में दूर रह जाते हैं। ठीक उसी प्रकार स्वाभाविक रूप से समय के साथ भगवद् गीता का मूल अर्थ भी गायब हो गया है। यदि कोई भगवद् गीता का अर्थ पूर्ण रूप से समझने में सक्षम हो, तो वह सत्य का अनुभव कर संसार के दुखों से मुक्त हो सकता है। अर्जुन ने भी महाभारत का युद्ध लड़ते हुए सांसारिक दुखों से मुक्ति प्राप्त की थी।
जानें हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का महत्व-
मान्यता है कि हनुमान जी ने अपनी शक्तियों का सबसे ज्यादा प्रदर्शन दक्षिण दिशा में किया था। श्री हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई हनुमान जी के महामंत्र के समान है। ऐसे में यदि आप अपनी मनोकामना के अनुसार उनकी चौपाई को रुद्राक्ष की माला के माध्यम से जाप कर सकते हैं। जैसे यदि आप रोग-शोक से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आप ”नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा” चौपाई का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें।
हनुमान चलीसा एक ऐसा पाठ है जिसकी गाथा व्यक्ति जितनी बार करता हैं उतनी बार कुछ नया सीखने को
हनुमान चालीसा लोगों को संकटो से उबारती हैं वहीं जब वैज्ञानिक चालीसा की खोज करें तो पता चला कि हनुमान चालीसा में धरती के साथ आसमान तक का विस्तार विवरण किया में गया हैं वहीं आज के वैज्ञानिक जिन सहस्त्रों शक्ति और रचना से जुड़ी चीजों का अध्यन करने के लिए रिसर्च करते हैं उन सभी का गुण रहस्य हनुमान चालीसा में छुपा हुआ हैं।
शिवपुराण- एक सुप्रसिद्ध पुराण
हिंदू पौराणिक ग्रन्थों में शिवपुराण एक सुप्रसिद्ध पुराण हैं, जिसमे भगवान शिव के विभिन्न कल्याणकारी स्वरूपों, भगवान शिव की महिमा, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म और शिव उपासना का विस्तृत में वर्णन किया गया है। भगवान शिव की लीलाओं एवं कथाओं के अतिरिक्त इस पुराण में विभिन प्रकार की पूजा और ज्ञानप्रद शिक्षाओं का उल्लेख किया गया है।
शिव महापुराण एक ऐसा पुराण ग्रन्थ है, हिन्दू धर्म में जो की अठारह पुराणों में से सबसे अधिक बार पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है। श्री शिव पुराण पढने का जो फल बताया गया है, वेदों में और इस पवित्र ग्रन्थ महापुराण में उसे जिव्हा से बयान नहीं किया जा सकता।
वेद क्या है ?
वेद-पुराण हिंदू धर्म के ऐसे ग्रंथ हैं, जिसके ज्ञान से व्यक्ति को जीवन जीने के लिए उचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है। वेद को हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ माना जाता है। लेकिन वेदों को समझना आसान नहीं है।
वेदों में ऋषियों की तपस्या और ज्ञान है, जिसे उन्होंने अपने शिष्यों को दिया है। इसी तरह पीढ़ी दर पीढ़ी वेदों का ज्ञान आज भी मनुष्यों को प्राप्त होता है और इससे उनका मार्गदर्शन होता है। वेद हमें आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए भी प्रेरित करते हैं। जानें भारत के 4 वेद…
ऋग्वेद – सबसे प्राचीन तथा प्रथम वेद जिसमें मन्त्रों की संख्या 10462, मंडल की संख्या 10 तथा सूक्त की संख्या 1028 है। ऐसा भी माना जाता है कि इस वेद में सभी मंत्रों के अक्षरों की कुल संख्या 432000 है। इसका मूल विषय ज्ञान है। विभिन्न देवताओं का वर्णन है तथा ईश्वर की स्तुति आदि।
यजुर्वेद – इसमें कार्य (क्रिया) व यज्ञ (समर्पण) की प्रक्रिया के लिये 1975 गद्यात्मक मन्त्र हैं। इसमें बलिदान विधि का भी वर्णन है।
सामवेद – इस वेद का प्रमुख विषय उपासना है। संगीत में लगे शूर को गाने के लिये 1875 संगीतमय मंत्र।
अथर्ववेद – इसमें गुण, धर्म, आरोग्य, एवं यज्ञ के लिये 5977 कवितामयी मन्त्र हैं।