Lal Krishna Advani Birthday: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठतम नेता और मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) आज 97 वर्ष के हो गए हैं। पार्टी में हर कोई उनकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर रहा है। आडवाणी, जिन्होंने भाजपा को अपने कंधों पर खड़ा कर इसे आज की मजबूती तक पहुंचाया, आज भी पार्टी के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनके नेतृत्व ने भाजपा को वैचारिक आधार पर मजबूत किया, और उनके प्रशंसक उनकी अगुवाई में संगठन की प्रगति को बखूबी पहचानते हैं।
आडवाणी: भारतीय राजनीति का एक मजबूत स्तंभ
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को हुआ था और वह भारतीय राजनीति में हिंदुत्व विचारधारा, राष्ट्रवाद, और पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए जाने जाते हैं। कराची (अब पाकिस्तान) में जन्मे आडवाणी विभाजन के बाद भारत आए और राजनीति में अपना सफर आरएसएस (RSS) के सदस्य के रूप में शुरू किया। भारतीय जनसंघ से होते हुए भारतीय जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अपने शुरुआती दिनों से ही दृढ़ और स्पष्ट विचारों के साथ राजनीति में आए। 1980 में भाजपा के गठन के बाद आडवाणी ने अपने प्रयासों से पार्टी को हर स्तर पर खड़ा किया और इसे एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख पार्टी बनाया।
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बेबाकी ने दी आडवाणी को खास पहचान
लालकृष्ण आडवाणी की स्पष्टता और बेबाकी उनके व्यक्तित्व का प्रमुख गुण हैं। उनका यही गुण उन्हें अन्य नेताओं से अलग और खास बनाता है। 1990 के दशक में मशहूर पत्रकार करण थापर के साथ हुए एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भारत को एक “हिंदू राष्ट्र” के रूप में देखना चाहेंगे, तो आडवाणी ने बेबाकी से जवाब दिया कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, ठीक वैसे ही जैसे इंग्लैंड एक ईसाई देश है। उन्होंने अपनी विचारधारा को बिना किसी भय के सामने रखा और हिंदू तत्व को राष्ट्रवाद से जोड़ने की अपनी सोच को व्यक्त किया।
राष्ट्रवाद की अपनी अलग परिभाषा
लालकृष्ण आडवाणी का राष्ट्रवाद “शुद्ध और सरल” राष्ट्रवाद पर आधारित है। उनका मानना था कि हिंदू तत्व राष्ट्रवाद की आत्मा है। उन्होंने कहा कि वह एक पंथनिरपेक्ष भारत के समर्थक हैं, परंतु वह पंथनिरपेक्षता की अवधारणा को महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक की तरह देखते हैं, जो धर्म के प्रति सम्मान के साथ थी। आडवाणी का यह स्पष्ट दृष्टिकोण नेहरूवादी विचारों से हटकर था। उनका मानना था कि राष्ट्रवाद में सभी धर्मों को समान स्थान देना जरूरी है, और उन्होंने मुसलमानों को भी इस देश का अभिन्न हिस्सा माना।
भारत के लिए अटूट प्रतिबद्धता
लालकृष्ण आडवाणी का जीवन भारत और उसकी सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने में समर्पित रहा है। 90 के दशक में उनकी “राम रथ यात्रा” ने न केवल पार्टी को बल्कि पूरे देश में एक नई लहर पैदा की। आडवाणी का उद्देश्य केवल एक राजनीतिक आंदोलन नहीं था, बल्कि वह इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रूप में देखते थे।
इनके नेतृत्व में भाजपा को मिली क्षमता
लालकृष्ण आडवाणी की नेतृत्व क्षमता और अनुशासन ने भाजपा को संगठित रूप में मजबूती दी। उन्होंने पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया और उन्हें नई दिशा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे नेता आडवाणी के योगदान का आदर करते हैं। उन्होंने संगठन को कैसे संभालना है और जनता के मुद्दों को किस प्रकार संबोधित करना है, यह सिखाया। उनके अनुशासन, निष्ठा और संगठन के प्रति समर्पण ने भाजपा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
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भारतीय राजनीति में अमूल्य योगदान
भारतीय राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी का योगदान अमूल्य है। उनकी राजनीतिक दृष्टि ने न केवल भाजपा को बल्कि भारतीय राजनीति को भी नए आयाम दिए। उनके सच्चे राष्ट्रवाद, हिंदू तत्व से प्रेरित विचारों और देशभक्ति से ओत-प्रोत उनकी सोच ने उन्हें विशिष्ट और लोकप्रिय नेता बना दिया। उनकी राजनीति ने पार्टी को नया दृष्टिकोण दिया और एक व्यापक प्रभाव डाला। आज 97 साल की उम्र में भी उनका व्यक्तित्व प्रेरणादायक है। उनके द्वारा छोड़ी गई वैचारिक और संगठनात्मक धरोहर भाजपा को आगे ले जाने में सहायक होगी।
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