Labour Party Win: ब्रिटेन के आम चुनाव 2024 में कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी (Labour Party) ने भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Party) को करारी हार का सामना कराया है। एग्जिट पोल सही साबित हुए और लेबर पार्टी ने 14 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। ब्रिटेन में आम चुनाव के लिए 4 जुलाई को मतदान हुआ था। मतदान के बाद जारी किए गए नतीजों में लेबर पार्टी 406 सीटों के आंकड़े को पार कर जीत हासिल कर चुकी है। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी को 112 सीट मिली है। इस वजह से कंजर्वेटिव पार्टी के मतदाताओं का भरोसा टूट गया। ‘रिफॉर्म यूके’ पार्टी ने कंजर्वेटिव वोटरों को आकर्षित किया, जिससे कंजर्वेटिव पार्टी के वोट बंट गए। लिबरल डेमोक्रेट्स ने भी दक्षिणी इंग्लैंड में महत्वपूर्ण सीटें जीतीं।
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बोरिस जॉनसन का बोझ
पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और उनके करीबी सहयोगियों द्वारा कोविड लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने से कंजरवेटिव पार्टी की छवि को नुकसान हुआ। इसका असर ऋषि सुनक पर भी पड़ा।
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लिज ट्रस का असफल कार्यकाल
ऋषि सुनक से पहले प्रधानमंत्री रहीं लिज ट्रस के 6 हफ्तों के कार्यकाल ने कंजरवेटिव पार्टी के प्रति वोटरों का विश्वास घटा दिया था। सिर्फ यही नहीं राजनीतिक विश्लेषकों ने उनके कार्यकाल को दु:स्वप्न बताया। ऋषि सुनक कोविड के बाद उभरी आर्थिक चुनौतियों का समाधान ढूंढने में असफल रहे। यूक्रेन युद्ध के बाद एनर्जी मार्केट में उथल-पुथल और महंगाई ने जनता को परेशान किया।
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इमिग्रेशन पॉलिसी रही फेल
ऋषि सुनक की इमिग्रेशन पॉलिसी हमेशा विवादों में रही। इंग्लिश चैनल पार करके आने वाले शरणार्थियों और बॉर्डर कंट्रोल को लेकर उनकी सरकार पर आलोचनाओं की बौछार हुई। प्रवासियों को रवांडा भेजने के उनके प्लान को भी तीखे आरोपों का सामना करना पड़ा।
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ब्रेग्जिट का असर
ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक और सोशल रिसर्च के अनुसार, यूरोप से अलग होने के बाद ब्रिटेन की GDP 2 से 3 प्रतिशत कम हो गई। ब्रेग्जिट ने भी ऋषि सुनक की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुल मिलाकर, इन सभी कारणों ने मिलकर ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करने पर मजबूर कर दिया और लेबर पार्टी ने सत्ता में वापसी की।
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लेबर पार्टी ने भारत की आजादी में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
लेबर पार्टी को हमेशा से भारत (India) के लिए खास दोस्ताना पार्टी भी कहा जाता रहा। ये पार्टी जब भी सत्ता में आती है तो भारत का खयाल रखती है। लेबर पार्टी का गठन 1900 में ब्रिटेन में ट्रेड यूनियनों औऱ समाजवादियों द्वारा काम करने वाले तबकों की आवाज को संसद तक पहुंचाने के लिए हुआ था। सितंबर 1945 में, भारत के वायसराय लॉर्ड वेवेल ने एक सार्वजनिक प्रसारण में लेबर सरकार की नई भारत नीति की घोषणा की थी। इसमें उन्होंने बताया कि भारत में पूर्ण स्वशासन के लिए सबकुछ किया जाएगा।
भारत में जल्द से जल्द एक संविधान-निर्माण निकाय का गठन किया जाएगा। इस सरकार ने ये भी तय कर लिया कि अब भारत को पूरी तरह स्वतंत्रता दे दी जाएगी और वर्ष 1946 में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली की सरकार वह कानून तैयार करने में जुट गई, जिसके जरिए भारत को आजादी मिलनी थी। प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को हाउस ऑफ कामंस में घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूर्ण स्वशासन प्रदान करा। यही वजह रही कि हमारे देश के सभी नेताओं और क्रांतिकारियों का बलिदान व्यर्थ न हुआ और 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया।
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