Kolkata Rape Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर की हत्या (Kolkata Rape Case) के मामले ने न केवल बंगाल, बल्कि पूरे देश में सनसनी मचा दी है। इस घटनाक्रम ने ममता बनर्जी की सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब टीएमसी (TMC) के ही नेता भी ममता सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर राय ने ममता सरकार की खामियों को उजागर करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की हटाने में हुई देरी पर सवाल खड़े किए थे और अब उन्होंने पुलिस कमिश्नर और पूर्व प्रिंसिपल की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
सुखेंदु शेखर राय का आरोप
सुखेंदु शेखर राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट के जरिए सीबीआई से मामले की निष्पक्षता से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि पुलिस कमिश्नर और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल को पहले हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुसाइड की कहानी को किसने और क्यों रचा, इसका खुलासा होना चाहिए। राय ने ममता सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि कोलकाता महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित नहीं है, जैसा कि पहले दावा किया गया था।
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डॉक्टरों का विरोध
मामले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। IMA ने 17 अगस्त की सुबह 6 बजे से लेकर 18 अगस्त की सुबह 6 बजे तक देश भर में सभी गैर-जरूरी मेडिकल सेवाओं को बंद रखने की घोषणा की है। इस घोषणा के तहत मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी एकजुटता और इस दर्दनाक घटना के खिलाफ अपने विरोध को प्रकट किया है।
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घटना का विवरण
8 अगस्त की रात को, कोलकाता के राधा गोबिंदकर मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन विभाग की सेकेंड ईयर की मेडिकल स्टूडेंट, 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ बर्बर रेप और हत्या की घटना सामने आई। यह घटना न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा झटका है। हाईकोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। इस मामले ने ममता सरकार की कार्यशैली और पुलिस प्रशासन की तत्परता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल, स्थिति यह है कि सरकारी और चिकित्सा संस्थानों दोनों ही स्तर पर इस घटना की गंभीरता को लेकर हड़कंप मचा हुआ है।
ममता सरकार और संबंधित अधिकारियों पर उठ रहे सवाल यह दर्शाते हैं कि जिम्मेदारियों की निष्ठा और जवाबदेही में कमी है। सीबीआई की जांच और चिकित्सकों के विरोध का यह दौर यह संकेत करता है कि न्याय की गारंटी केवल शब्दों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।