Kolkata Doctor Murder Case: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शांतनु सेन (Shantanu Sen) को पार्टी के प्रवक्ता पद से हटा दिया है. इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब यह सवाल उठने लगा है कि क्या उन्हें कोलकाता (Kolkata) के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या मामले में कॉलेज (RG Kar Medical College and Hospital) के प्रिंसिपल की आलोचना के कारण यह सजा मिली है.
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शांतनु सेन की प्रिंसिपल और स्वास्थ्य विभाग पर आलोचना
दरअसल, शांतनु सेन (Shantanu Sen) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College and Hospital) के प्रिंसिपल और राज्य स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की तीखी आलोचना की थी.उन्होंने अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की थी और इस मामले में प्रिंसिपल की भूमिका पर सवाल उठाए थे. सेन ने कहा था कि पिछले तीन साल से प्रिंसिपल के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को इस मामले में सही जानकारी नहीं दे रहे हैं, जिससे स्थिति बिगड़ रही है.
मीडिया रिपोर्टों से हटाने की जानकारी
बताते चले कि शांतनु सेन (Shantanu Sen) ने एक वीडियो संदेश में बताया कि उन्हें मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से पता चला कि उन्हें टीएमसी प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब भी उन्होंने प्रवक्ता के रूप में कोई बयान दिया है, उन्होंने पार्टी या किसी नेता के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है. शांतनु सेन ने जोर देकर कहा कि उन्होंने जो भी कहा है, वह स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी समस्याओं पर आधारित था और उनका मानना है कि यह जानकारी मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी तक सही तरीके से नहीं पहुंचाई जा रही है.
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सीएम को सही जानकारी न मिलने का आरोप
शांतनु सेन (Shantanu Sen) का मानना है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग की समस्याओं और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना की गंभीरता को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक सही तरीके से नहीं पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि वे अपनी बात पर अब भी कायम हैं और इस मामले में सच्चाई को सामने लाने की जरूरत है. सेन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके बयानों का उद्देश्य केवल सुधार की दिशा में ध्यान आकर्षित करना था, न कि पार्टी के खिलाफ कोई आलोचना करना.
टीएमसी का मौन और संभावित कारण
टीएमसी की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी प्रवक्ता पद से सेन को हटाने के पीछे उनकी प्रिंसिपल और स्वास्थ्य विभाग पर की गई आलोचना हो सकती है. टीएमसी नेतृत्व ने इस मामले को पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया के रूप में देखा होगा, लेकिन यह फैसला पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा का विषय बन गया है.