Kolkata doctor murder case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या (Kolkata Doctor Case) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आज बंगाल सरकार और पुलिस की कार्यवाही पर तीखे सवाल उठाए। जिसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि उन्होंने ऐसी लापरवाही अपने 30 वर्षों के अनुभव में नहीं देखी। इस बीच सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच तीखी बहस छिड़ गई।
कम से कम हंसिए तो मत
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष की ओर से गंभीर बहस चल रही थी। इसी दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की एक दलील पर ममता सरकार की ओर से वकालत कर रहे वकील कपिल सिब्बल को हंसी आ गयी। इस पर सॉलिसिटर जनरल रुष्ट हो गये और उन्होंने कहा कि किसी की जान चली गई और आपको हंसी आ रही हैं। कम से कम हंसिए तो मत। इस मामले की सुनवाई के दौरान तुषार मेहता केस डायरी का हवाला देते हुए बोले कि पुलिस को मामले की कब जानकारी दी गई थी। इस बात पर कपिल सिब्बल हंसने लगे। इसपर सॉलिसिटर जनरल को गुस्सा आ गया और कहा कि किसी की जान चली गई कम से कम हंसिए तो नहीं।
एफआईआर पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा, “पोस्टमार्टम कब किया गया था?” बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि पोस्टमार्टम शाम 6:10 से 7:10 बजे के बीच किया गया था। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि जब यह मामला अननैचुरल डेथ का नहीं था, तो पोस्टमार्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके साथ ही कोर्ट ने यूडी केस और एफआईआर के समय को लेकर भी संदेह व्यक्त किया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया और एफआईआर 11:45 पर, क्या यह रिकॉर्ड सही है?”