Kolkata Doctor Death case: कोलकाता के ‘डॉक्टर डेथ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद, दिल्ली के एम्स और आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने 11 दिनों से चल रही अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की थी, और उनकी सभी समस्याओं को सुनने और समाधान करने का आश्वासन दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी राज्य सरकारों के साथ मिलकर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को भी इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ बैठक कर समाधान निकालने का निर्देश दिया गया है.
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सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद डॉक्टरों की वापसी
बता दे कि एम्स-आरएमएल के डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आश्वासन के बाद काम पर लौटने का निर्णय लिया. हालांकि, अन्य कई यूनियनों की हड़ताल अभी भी जारी है. डॉक्टरों ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद उन्होंने हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है. इस स्टेटमेंट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोर्ट के निर्देशानुसार, हड़ताल के दौरान किसी भी डॉक्टर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे डॉक्टरों को राहत मिली है.
डॉक्टरों की चिंता और सुप्रीम कोर्ट का भरोसा
बताते चले कि हड़ताल के दौरान डॉक्टरों को इस बात का अंदेशा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, और वे अपनी नौकरी खो सकते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को आश्वस्त किया कि उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीश और डॉक्टर कभी भी हड़ताल पर नहीं जा सकते, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सभी डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आते हैं, तो कोर्ट उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं होने देगी. इस मामले में कोलकाता सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की.
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डॉक्टरों ने किया काम ठप
कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद डॉक्टरों में भारी नाराजगी थी. इस घटना ने दिल्ली के एम्स और आरएमएल के रेजिडेंट डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर दिया. डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग करते हुए सभी कामकाज ठप कर दिया था. इस बीच, वेस्ट बंगाल डॉक्टर फोरम के डॉक्टर कौशिक लहरी ने कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ भी कई गंभीर आरोप थे. उनके ऊपर उगाही और अन्य डॉक्टरों पर अत्याचार के आरोप थे. संदीप घोष पर यह भी आरोप था कि उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अस्पताल में अपनी सत्ता कायम रखी, और उन्हें हटाने की किसी भी कोशिश को विफल कर दिया.
डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एम्स और आरएमएल के डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त कर दी है. लेकिन यह घटना स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है. अब देखना होगा कि राज्य सरकारें इस दिशा में क्या कदम उठाती हैं.
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