Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल एक ऐसा बिल हैं, जिसकी चर्चा 27 सालों से होती आ रही हैं। जिसका इंतजार आज खत्म होने को हैं। बता दे कि महिला आरक्षण बिल आज नए संसद में पेश किया गया हैं। जिसका नतीजा जल्द निकलने के पड़ाव पर हैं। आपको बता दे कि महिला आरक्षण बिल देश के संविधान का 108वां संशोधन विधेयक राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई 33% आरक्षित करने का प्रावधान देता हैं। इस विधेयक में 33% कोटा के अंदर SC, ST और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव हैं।
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जाने महिला आरक्षण बिल का इतिहास
महिला आरक्षण बिल साल1996 से ही लटका हुआ हैं। उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था, लेकिन ये पारित नहीं हो सका था। यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था।
इस बिल पर दुबारा से चर्चा शुरु हई
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इस बिल पर दुबारा से चर्चा शुरु हई। जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे लोकसभा में पेश किया था, लेकिन विरोध होने के कारण महिला आरक्षण बिल पर कोई बात नहीं हो पाई थी। आपको बता दे कि महिला आरक्षण बिल 2014 में खत्म हो गया था। जब लोकसभा भंग हुई थी, तभी ये बिल खत्म हुआ था।
यूपीए सरकार ने भी इस बिल को किया पेश
फिर बता दे कि साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी इस बिल को पेश किया था। उन्होंने इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर राज्यसभा में पेश किया था। वहीं कुछ सहयोगी दलों के विरोध के कारण यूपीए सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया और बिल फिर यह बिल अधर में लटका रहा।
बिल राज्य सभा से पास हो चुका
अब साल 2024 में मोदी सरकार ने फिर इस बिल को एक नए सिरे से पेश करने किया हैं। बता दे कि यह बिल राज्य सभा से पास हो चुका हैं। वही अगर यह बिल लोकसभा में पारित हो जाता हैं, तो यह राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद क़ानून बन जाएगा।
बिल क़ानून बनने के बाद ..
आपको बता दे कि अगर यह बिल पास होकर कानून बन जाता हैं। तो देश में महिलाओं को भी 2024 के चुनाव में 33 फ़ीसदी आरक्षण मिल जायेगा। जिसके बाद से लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी। यब बात हर महिला के लिए गर्व की होगी क्योंकि महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा मिल जाएगा।