हमारे समाज व संविधान में आज तक वैवाहिक बलात्कार पर बहस जारी है, ” वही भारतीय कानून में फिलहाल मैरिटल रेप कानूनी तौर पर अपराध नहीं है। वही अब ताजा बहस मैरिटल रेप को लेकर हो रही है, कि आखिर मैरिटल रेप है किया।
Marital Rape: जब किसी महिला का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बलात्कार होता है तो उसे जिंदगी भर उस दर्दनाक याद के साथ जीना पड़ता है लेकिन जब बलात्कार पति द्वारा ही किया जाए तो उसे पीड़ा के साथ-साथ उस बलात्कारी व्यक्ति के साथ भी रहना पड़ता है। वर्तमान समय में यह बहस जस्टिस शकधर और जस्टिस सी.हरिशंकर की अदालत में मैरिटल रेप से संबंधित केस की सुनवाई पर दो अलग-अलग निर्णयों के रूप में आती है। वही दोनों जज इस बात पर सहमत रहे कि मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील होनी चाहिए, क्योंकि मुद्दा अहम क़ानून से जुड़ा है।
हाईकोर्ट के जजों ने दिया था अलग अलग फैसला…
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11 मई 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों जजों की राय एक मत नहीं दिखी। इसी के चलते दोनों जजों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रस्तावित किया था। सुनवाई के दौरान जहां बेंच अध्यक्षता करने वाले जस्टिस राजीव शकधर ने मैरिटल रेप अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था। वहीं जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि IPC के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है।
समझिए क्या है वैवाहिक बलात्कार…
वैवाहिक बलात्कार वो बलात्कार है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिससे पीड़िता का विवाह हुआ हो यानी उसका पति। यह पत्नी की इच्छा के बिना बलपूर्वक, धमकी देकर या शारीरिक हिंसा यानी मारपीट कर बनाया गया संबंध है। ऐसे वक्त में जब पत्नी की सहमति न हो।
Marital Rape पर क्या कहते हैं कानून के जानकार?
घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों पर नज़र रखने वाले एडवोकेट अनुराग ने कहा कि शादी के बाद एक व्यक्ति के तौर पर किसी की सामाजिक पहचान खत्म नहीं हो जाती है। पति-पत्नी के अलावा भी व्यक्ति की एक पहचान है, और उसके भी संवैधानिक अधिकार हैं। सेक्स के लिए पत्नी की सहमति अनिवार्य है। किसी को रेप करने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं मिलना चाहिए कि वह उसका पति है। उन्होंने कहा कि विधि विशेषज्ञों को इस विषय पर और मुखर होने की जरूरत है।
वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर भारत का कानून क्या कहता है?
दुष्कर्म के मामले में अगर आरोपी महिला का पति है तो उस पर दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं हो सकता है। IPC की धारा 375 में दुष्कर्म को परिभाषित किया गया है। इसमें वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद बताया गया है। धारा 375 कहती है कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है तो पति द्वारा बनाया गया संबंध दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। भले इसके लिए पति ने पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर जबरदस्ती की हो।
इन देशों में मैरिटल रेप है अपराध…
- 1922 में सोवियत यूनियन मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने वाला पहला देश था।
- सोवियत संघ के बाद 1932 में पोलैंड ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया था।
3.1960-1970 के दशक तक अधिकतर पश्चिमी देश मेरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे। - ब्रिटेन ने 1991 और अमेरिका ने 1993 में मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया।
- यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक दुनिया के 150 देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे।
- भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान समेत केवल 34 देशों में मैरिटल रेप अपराध नहीं है।
देश में मैरिटल रेप की स्थिति…
देश में यह एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा है, जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। मगर कोई सही समाधान नहीं निकल पाया है। अब सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से एक नई राह दिखी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक 82 फीसदी महिलाएं वैवाहिक रेप की शिकार बनी हैं। इसी सर्वे में बताया गया है कि 45 प्रतिशत महिलाओं के शरीर पर यौन हिंसा का कोई ना कोई जख्म मौजूद है।