Patna : बिहार के राजधानी पटना के महावीर मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है माना जाता है। बता दे कि अयोध्या का हनुमानगढ़ी के बाद ये एकलौता पटना का हनुमान जी का मंदिर है जहां भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलता है , वहीं इस मंदिर का इतिहास की बात करे तो ये कहा जाता है कि इसे 80 के दशक में नया रंग-रूप दिया गया था।वहीं ये हनुमान जी का काफी पुराना मंदिर माना जाता है। बता दे कि इस मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को खाने से हर तरह की बीमारी भी ठीक हो जाती है।
मनोकामनाएं होती है पूरी
वहीं बताया जाता है की इस मंदिर में मिलने वाले लड्डू खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है। बता दे कि सिर्फ पटना ही नहीं, देश के कोने कोने से श्रद्धालु लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं, यहां हर दिन लाखों रुपये का चढ़ावा भी चढ़ाया जाता है, कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
Read more : जानिए क्या है ओणम त्योहार कितने दिनों का होता पर्व, इस पर्व का क्या होता है महत्व
1730 में हुई थी मंदिर की स्थापना
पटना का हनुमान जी का मंदिर की स्थापना स्वामी बालानंद ने वर्ष 1730 में की थी। वहीं वर्ष 1900 तक यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के अधीन था। इसके बाद, 1948 तक यह गोसाईं संन्यासियों के कब्ज़े में रहा। बता दे कि वर्ष 1948 में, पटना उच्च न्यायालय ने इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित किया। वहीं उसके बाद आचार्य किशोर कुणाल के प्रयासों से 1983 से 1985 तक वर्तमान मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, और आज इस भव्य मंदिर के द्वार सभी के लिए खुले हैं।
मूर्तियों की जोड़ी
हनुमान जी का यह मंदिर बाकी हनुमान मंदिरों से थोड़ा अलग है, क्योंकि यहाँ बजरंग बली की मूर्तियों की जोड़ी एक साथ है। एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम्, अर्थात जो अच्छे लोगों के कामों को पूरा करने वाली है, और दूसरी मूर्ति दुशासय च दुक्तताम्बु, अर्थात बुरे लोगों की बुराई को दूर करने वाली मंदिर मे एक मंदिर है।
घी के लड्डू, का लगाया जाता है भोग
ये प्रसिद्ध महावीर मंदिर पटना जंक्शन परिसर से सटा हुआ है। वहीं ये मंदिर प्राचीन है, जिसे 80 के दशक में नया रूप दिया गया था। बता दे कि पटना आने वाले तीर्थयात्री यहां सिर टेकना नहीं भूलते। इसके अलावा मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां मंगलवार और शनिवार को सबसे ज्यादा दिन श्रद्धालु जुटते हैं। यहां हनुमान जी को घी के लड्डू, नैवेद्यम का भोग लगाया जाता है।