भारत देश में जम्मू-कश्मीर को स्वर्ग कहा जाता आप सभी जानते कि जम्मू कश्मीर हमेश चर्चोओं में बना रहता है कभी अपने खूबसूरती को लेकर तो कभी दंगे –फसाद को लेकर हाल में ही द कश्मीर फाइल फिल्म को लेकर चर्चेंओ बना हुआ था लेकिन क्या आप जानते है कि जम्मू कश्मीर की कहानी सैकड़ों साल पुरानी है. इसका गौरवशाली इतिहास इसकी पहचान है. लेकिन 1947 के बाद उस गौरवशाली इतिहास पर आतंक की ऐसी लकीर खींच दी गई कि जम्मू-कश्मीर का स्वरूप हमेशा के लिए बदल गया. हक के लिए लड़ता कश्मीरी, सड़कों पर तैनात सुरक्षाबल और पाकिस्तान की नापाक साजिशें, घाटी की ये पहचान बन गई. आजादी के 72 साल बाद जम्मू-कश्मीर की उस पहचान को बदलने के लिए इतिहास फिर गढ़ा गया और खत्म हुआ अनुच्छेद 370. यही है ‘कश्मीर-ए-दास्तान: 1947-2021’
जम्मू और कश्मीर के साथ भारत के अन्य राज्यों से अलग व्यवहार किया जाता था
इसकी वजह से इस राज्य की मुख्यधारा से दूरी थी। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू–कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। भारत की संसद जम्मू–कश्मीर के संबंध में सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती थी। अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू–कश्मीर राज्य पर भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं लागू नहीं होती थीं। भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू–कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। भारतीय संविधान की धारा 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। यह जम्मू–कश्मीर पर लागू नहीं होता था। केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम भी जम्मू और कश्मीर में लागू नही होता है जम्मू–कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था। जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओ का कार्यकाल 5 वर्ष का था।
इसलिए जरूरी था अनुच्छेद 370 को निरस्त करना
जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35ए द्वारा दिए गए विशेष दर्जे को हटाने के लिए संसद ने 5 अगस्त, 2019 को मंजूरी दी। तब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे – ‘ऐतिहासिक भूल को ठीक करने वाला ऐतिहासिक कदम’ कहा था।
• नरेन्द्र मोदी सरकार की इसी दीर्घकालिक सोच का ही नतीजा है कि आज कश्मीर भी देश के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।
• चाइल्ड मैरिज एक्ट, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून अब यहां भी प्रभावी है। वाल्मीकि, दलित और गोरखा जो राज्य में दशकों से रह रहे हैं, उन्हें भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।
• वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर प्रदेश एवं लद्दाख के न्द्र शासित प्रदेश के क्रमश: 30757 करोड़ रु. और 5959 करोड़ रू. का अनुदान दिया गया है
फ्लैगशिप स्कीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 5300 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए 13,732 करोड़ रु. के एमओयू पर दस्तखत हुए हैं।
• 7 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामाजिक आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए लगभग 80,000 करोड़ रु. की पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी। पुनर्गठन के बाद जम्मू एवं कश्मीर को 58,477 करोड़ रु. की 53 परियोजनाओ, ं जबकि लद्दाख को 21,441करोड़ रू. की 9 परियोजनओं पर कार्य चल रहा है ..
अनुच्छेद 370 व 35-ए हटने से बदली कश्मीर की फिजा
• 5 अगस्त 2019 को संसद द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने को मंजूरी दी गई। नोटिफिके शन जारी करते ही 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग के न्द्र शासित प्रदेश में पुनगर्ठित कर दिया गया।
• इसके साथ ही के न्द्र सरकार के 170 कानून जो पहले लागू नहीं थे, अब वे इस क्षेत्र में लागू कर दिए गए हैं। यहां के स्थानीय निवासियों और दसरे राज् ू यों के नागरिकों के बीच अधिकार अब समान हैं। राज्य के 334 कानूनों मे से 164 कानूनों को निरस्त किया गया, 167 कानूनों को भारतीय संविधान के अनुरूप अनुकूलित किया गया।
• अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओ और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
• 370 से आजादी के एक साल बाद यहां गांवों के साथ जनपद और जिला पंचायत के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए। कई वर्षों के बाद सन 2018 में पंचायत चुनाव हुए और इसमें 74.1 फीसदी मतदान हु आ। सन 2019 में पहली बार आयोजित ब्लॉक डेवलेपमेंट काउंसिल चुनाव में 98.3 फीसदी मतदान हुआ। हाल ही में जिला स्तर के चुनाव में भी रिकॉर्ड भागीदारी हुई।
सीधे लाभार्थि यों तक पहुंचने लगी योजनाएं
एक देश, एक विधान, एक निशान का सपना साकार • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जम्मू और कश्मीर में 4.4 लाख लाभार्थियों का सत्यापन किया जा चुका है। इस योजना के तहत जम्मू और कश्मीर के अस्पतालों में 1.77 लाख उपचार अधिकृ त किए गए हैं, जिसके लिए 146 करोड़ रु. प्राधिकृ त किए गए हैं। • पीएम किसान योजना का लाभ लेने में जम्मू-कश्मीर कु ल जनसंख्या के अनुपात में लाभार्थी प्रतिशत की दृष्टि से अग्रणी हैं। इस योजना में अब तक 12.03 लाख लाभार्थी शामिल हुए हैं। • पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 1.34 लाख घर स्वीकृ त हुए हैं। वंचितों को लाभ सामाजिक सुरक्षा (राज्य) योजना सौभाग्य योजना 3,87,501 उज्ज्वला योजना 12,60,685 उजाला योजना 15,90,873 8,88,359 अध्याय-4
वाल्मीकि समुदाय, गोरखा लोगों और पश्चिमी पाकिस्तान से उजाड़े और खदेड़ेगए शरणार्थियों को पहली बार राज्य में होने वाले चुनाव में मत देने का अधिकार मिला। • मूल निवासी कानून लागू किया गया। नई मूल निवासी परिभाषा के अनुसार 15 वर्षया अधिक समय तक जम्मू- कश्मीर में रहने वाले व्यक्ति भी अधिवासी माने जाएंगे। • 1990 में कश्मीर घाटी से भगाए गए कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने का रास्ता साफ हो गया है। कश्मीरी प्रवासियों की वापसी के लिए 6000 नौकरियों और 6000 पारगमन आवासों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। • जम्मू-कश्मीर से बाहर विवाह करने वाली लड़कियों और उनके बच्चों के अधिकारों का संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ
लाभार्थियों से घाटी को मुख्यधारा में जोड़ने की पहल
अब तक के सबसे बड़े भर्ती अभियान के प्रथम चरण में 10,000 रिक्तियों की पहचान की गई है, उनमें से 8575 के लिए सेवा चयन बोर्ड द्वारा विज्ञापन दिया जा चुका है। भर्ती अभियान के दसरे चरण के रू ू प में 12379 पद की पहचान की गई है, जम्मू-कश्मीर सरकार इन रिक्तियों को भर्ती एजेंसियों को संदर्भित करने की प्रक्रिया में है। • हिमायत योजना में 90,792 उम्मीदवारों के प्रशिक्षण को मंजूरी मिली। को आवंटित पंचायत, ब्लॉक में दो दिन और एक रात रुक कर जन समस्यायों को समझना है।
जन समस्याओ को समझना है
केसर पारंपरिक रूप से प्रसिद्ध कश्मीरी व्यंजनों से जुड़ा है, उसके औषधीय गुणों को कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता है। कश्मीरी के सर को जीआई टैग मिला। अब कश्मीरी के सर पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच रहा है।
• पुलवामा के उक्खूगांव को पेंसिल वाले गांव का टैग देने की तैयारी है। देश का 90 प्रतिशत पेंसिल स्लेट यहीं से तैयार होकर देशभर में जाता है।
• नए स्वीकृ त 50 कॉलेजों में 48 कॉलेजों को चालू कर दिया गया है जिसमें 6700 छात्रों ने प्रवेश लिया है।
• 7 नए मेडिकल कॉलेज और 5 नए नर्सगिं कॉलेजों को मंजूरी दी गई।
• गुलमर्ग में पहली बार खेले गए भारतीय शीतकालीन खेलों का आयोजन किया गया।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का अभूतपूर्व विकास हुआ
प्रधानमंत्री द्वारा पोषित विकास कार्यक्रम ने गति पकड़ी, जिससे 2018 में खर्च की अपेक्षा 2021 में खर्च दो गुना हो गया।
• वर्षों से लंबित श्रीनगर का रामबाग फ्लाईओवर खोला गया।
• आईआईटी जम्मू को अपना कैंपस मिला और एम्स जम्मू का भी काम शुरू हो चुका है।
• अटल टनल का इंतजार खत्म हुआ और प्रधानमंत्री ने देश को समर्पित किया।
• जम्मू की सेमी रिगं रोड और 8.45 किमी नई बनिहाल सुरंग इस साल खोली जाएगी।
• चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊं चा 467 मीटर का पुल अगले साल तक पूरा हो रहा है
आंतक से मुक्त, विकास से युक्त हो रहा जम्मू-कश्मीर •
अनुच्छेद 370 हटने के बाद अलगाववादियों का जनाधार खत्म होता जा रहा है। वर्ष 2018 में 58, वर्ष 2019 में 70 और वर्ष 2020 में 6 हु र्रियत नेता हिरासत में लिए गए। 18 हु र्रियत नेताओ से सरकारी खर्चो पर मिलने वाली सुरक्षा वापस ली गई। अलगाववादियों के 82 बैंक खातों में लेनदेन पर रोक लगा दी गई है।
• आतंक की घटनाओ में उल्लेखनीय कमी आई है और घाटी में शांति और सुरक्षा का नया वातावरण बना है ।
विकास को लगेंगे पंख
• 40 वर्ष से रूकी हुई शाहपुर-कंडी बांध परियोजना पर कार्य शुरू किया गया है। रातले पनबिजली परियोजना का कार्य पुनः शुरू किया गया है।
• जम्मू-कश्मीर में दो एम्स खोलने की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक एम्स जम्मू में होगा और दूसरा कश्मीर में।
• केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सभी व्यक्तिगत लाभार्थी योजनाओ तथा सभी फ्लैगशिप योजनाओं पर द्रुत गति से कार्यप्रारंभ किया।
• लगभग 80,000 करोड़ रु. वाले प्रधानमंत्री विकास पैकेज2015 के तहत विकास- 20 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं तथा बाकी क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
• केन्द सरकार ने लद्दाख में बौद्ध अध्ययन केन्द्र के साथ केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की है।
• इंजीनियरिगं विभागों और उद्योगों, पर्यटन, वित्त और तकनीकी शिक्षा विभागों में प्रशासनिक सुधार-अतिव्यापी कार्यों का विलय या युक्तिसंगत करना।
हर हाथ अब थामेगा पुलवामा की तैयार पेंसिल
अब कश्मीर के पुलवामा का नाम आते ही, 14 फरवरी, 2019 की दहशतगर्दी नहीं, नए भारत की तस्वीर उभरेगी। पुलवामा के उक्खूगांव को के न्द्र सरकार की पहल पर ‘पेंसिल वाला गांव’ का टैग दिया जा रहा है। इसलिए अब पुलवामा को देश के बच्चों की शिक्षा में अक्षर ज्ञान वाली पेंसिल के लिए जाना जाएगा। देश में जिन हाथों ने पेंसिल थामी है या थामी होगी, उन्हें शायद अंदाजा भी नहीं होगा कि यह पेंसिल कहां से बनकर उनके हाथों तक पहु ंची है। लेकिन आपको यह जानकर सुखद अनुभूति होगी कि आपके हाथों में आने वाली 90 फीसदी पेंसिल भी उसी पुलवामा से होते हु ए पहुचती है