Nirjala Ekadashi 2024: आज निर्जला एकादशी है, जिसे हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बिना जल के उपवास करने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है. इस दिनम धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है और भगवान विष्णु की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. अच्छे स्वास्थ्य और सुखद जीवन की मनोकामना भी पूरी होती है.
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जानें पूजन विधि
- पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें.
- उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें.
- श्री हरि और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.
- धर्मिक और धार्मिक परिस्थितियों में जल या फलाहार व्रत भी रख सकते हैं.
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:03 बजे से 4:43 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:54 बजे से 12:50 बजे तक
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पारण का समय
19 जून 2024, बुधवार, सुबह 5:24 बजकर सुबह 7:28 बजकर
व्रत की प्रक्रिया
निर्जला एकादशी पर केवल जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। सुबह और सायंकाल अपने गुरु या भगवान विष्णु की उपासना करें। रात में जागरण करके श्री हरि को प्रसन्न करें। ज्यादा से ज्यादा समय मंत्र जाप और ध्यान में लगाएं। जल और जल के पात्र का दान करना विशेष शुभकारी माना जाता है।
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निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण
बताते चले कि निर्जला एकादशी के बाद सूर्यास्त के समय स्नान करें और सूर्य को अर्घ्य दें. गरीबों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करें और फिर नींबू पानी पीकर व्रत समाप्त करें. हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को निर्जला (बिना जल के) एकादशी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन व्रती व्यक्ति बिना किसी भी प्रकार के भोजन और जल के उपभोग के उपवास में रहता है. यह व्रत भगवान विष्णु की अराधना और पूजन का विशेष अवसर होता है और इसे करने से मान्यता है कि व्रती को धार्मिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं.
किसे लिए रहते है निर्जला एकादशी का व्रत?
पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत को रखने से व्रती को साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। यह उसके पापों को नष्ट करने में मदद करता है और उसकी आत्मा को शुद्धि प्रदान करता है.
स्वास्थ्य के लिए लाभ: व्रत रखने से शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ प्राप्त होता है। इससे आत्मिक और मानसिक स्थिति भी सुधारती है और व्यक्ति को आनंदमय जीवन की दिशा में मदद मिलती है.
धार्मिक अर्थ: भगवान विष्णु की आराधना में इस व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके माध्यम से व्रती अपने धर्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयत्नशील रहते हैं.
समाज में उपकार: इस दिन व्रती लोग गरीबों की मदद करते हैं और दान-धर्म का पालन करते हैं, जिससे समाज में एकता और सहानुभूति का माहौल बनता है.
इसलिए, निर्जला एकादशी का व्रत धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे लाखों लोग पूरे समर्थन और श्रद्धांजलि पर उसके फायदे में लाभ प्राप्त होते हैं.