Teachers’ Day: शिक्षक का हर किसी के जिंदगी में एक बड़ा अहम रोल होता हैं। बचपन से लगा कर बड़े होने चक शिक्षक हमें ज्ञान देते हैं। आज पूरे भारत में शिक्षा दिवस का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा हैं। इस दिन का उद्देश्य शिक्षकों के महत्व को मान्यता देना हैं और उनके समर्पण के लिए आभार व्यक्त करना हैं। इस दिन को पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता हैं। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते
आपको बता दे कि इस मौके पर विभिन्न स्कूल, कॉलेज, और शैक्षिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें शिक्षकों को सम्मानित किया जाता हैं और उनके योगदान को मान्यता दिलाई जाती हैं। छात्र छात्राएं भी अपने पसंदीदा शिक्षकों को विशेष रूप से धन्यवाद देते हैं और उनके प्रेरणास्पद शिक्षण के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।
समाज के विकास और सुधार की कुंजी
शिक्षा दिवस का संदेश है कि शिक्षा समाज के विकास और सुधार की कुंजी है और शिक्षक समाज के नेता होते हैं जो युवाओं को सही मार्ग पर चलने में मदद करते हैं। यह दिन शिक्षा के महत्व को साझा करने और शिक्षकों के योगदान को सलामी देने का मौका प्रदान करता है।
पूरे देश में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है और 5 सितंबर को देश के पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म तिथि भी मनाई जाती है। जिनका कहना ये था कि ये पूरी दुनिया को एक विश्वविद्याल के रूप में देखते व उनका यह उद्देश्य था कि देश के लोगों को ज्ञान के साथ जानकारी भी होनी बहुत जरूरी हैं जिससे कि उनको भविष्य में कभी भी कोई समस्या नहीं हो और शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश यह है कि देश के लोगो को शिक्षा के प्रति महत्व का पता चले व शिक्षा को बढ़ावा मिले।
सर्वपल्ली जी एक महान शिक्षक
सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 तमिलनाडु के तिरुत्तानी में हुआ था। सर्वपल्ली जी एक महान शिक्षक थे और इनकी गिनती भारत के महान शिक्षक और प्रख्यात विद्वानो में होती है।वहीं इनके छात्र इन्हें बहुत प्रेम करते थे क्योंकि सर्वपल्ली जी अपने छात्रों को बच्चों के समान प्रेम करते थे।
जाने इसकी शुरुआत कब हुई…
शिक्षक दिवस की शुरुवात तब हुई थी जब सर्वपल्ली जी के जन्मदिन से पहले उनके छात्रों ने पूछा कि गुरु जी क्या हम कल आपका जन्मदिन मना सकते हैं। तो सर्वपल्ली जी ने कहा कि क्यों नहीं कल तुम मेरे जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाओ तभी से भारत में 5 सितंबर 1962 को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जानें लगा। कहां जाता है की सर्वपल्ली जी का छात्रों के प्रति इतना प्रेम था की एक बार उनके छात्रों ने रेलवे स्टेशन तक छोड़ने के लिए फूल से सजी गाड़ी का आयोजन किए थे और सर्वपल्ली जी को स्टेशन ले गए।
शिक्षक ज्ञान का दीपक जलाते..
हमारे देश में एक शिक्षक का स्थान माता-पिता से भी ऊपर है। कहा जाता है कि शिक्षक छात्रों की ज़िन्दगी में ज्ञान का दीपक जलाता है वहीं आज के समय में शिक्षक दिवस को स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों में खूब धूमधाम से मनाया जाने लगा है और स्कूल कॉलेज में कई तरह के प्रोग्राम आयोजित किया जाता हैं जिसमे छात्र इस मौके पर बढ़ चढ़ के भाग लेते है और स्कूल में आपने मनपसंद के टीचर बनकर जाते है व अपने शिक्षक के लिए भाषण भी देते देते हैं।