Kairana Lok sabha Election Seat : एक वो दौर जब शामली जिले का कैराना इलाका हिंदू परिवारों के पलायन का गवाह बना था, लेकिन गुजरते वक्त के साथ कैराना के जख्मों पर मरहम तो लगा ही, इसके साथ ही शामली जिले की सियासत में बीजेपी का दबदबा बनाअब 2024 के लिए कैराना एक बार फिर तैयार है,कौन बाजी मारेगा. किसे मिलने वाली पटखनी है ।
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सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े
ये तस्वीरें 2016 की हैं ,तब सूबे में अखिलेश की सरकार थी और कैराना में हिंदू परिवारों का पलायन आम हो गया था। 346 हिंदू परिवारों का पलायन अखिलेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा था।
कैराना में बढ़ते अपराध और रंगदारी वसूली के कारण अधिकतर हिंदू परिवारों ने घर-मकान छोड़ दिए और उनके घरों पर लटके ताले हिंदुओं को निशाना बनाने की कहानी बयां करते नजर आए तब बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के दावे ने अखिलेश के चेहरे से मुखौटा हटाने का काम किया था।
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कैराना लोकसभा 2014
- बीजेपी के हुकुम सिंह
- 2018 उपचुनाव
- सपा की तबस्सुम बेगम
- 2019 बीजेपी के प्रदीप चौधरी
- 2024> ?
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कैराना सीट बनी साख का सवाल
- 2014 में बीजेपी ने जीत दर्ज की
- तत्कालीन सांसद हुकुम सिंह के निधन से सीट खाली हुई
- 2018 के उपचुनाव में बीजेपी हार गई
- 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने वापसी की
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सबकी नजरें 2024 के चुनाव पर
कांग्रेस के सामने जहां एक ओर 40 साल का सूखा खत्म करने की चुनौती है, तो वहीं बीजेपी भी इस सीट को छोड़ने के मूड में कतई नहीं है। बीजेपी मोदी मैजिक पर भरोसा जताए बैठी है और यही वजह है कि बीजेपी के केंद्र से लेकर प्रदेश तक मंत्री और कद्दावर नेता जीत के महाभियान में उतर आए हैं।
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कड़ी फाइट इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच देखने को मिलेगी
मुजफ्फरनगर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद ये इलाका हरियाणा के पानीपत से भी सटा है, यमुना नदी के पास बसे कैराना को रालोद का घर भी कहा जाता है, मुस्लिम और जाट बाहुल्य इस इलाके में रालोद के बीजेपी के साथ आने से समीकरण बीजेपी के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं।
मौजूदा वक्त में ये सीट बीजेपी के कब्जे में है। 2019 में बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने सपा की तबस्सुम बेगम को हराकर चुनाव जीता था। सत्ता में वापसी की टकटकी लगाए बैठी कांग्रेस 2019 में भी इस सीट पर बुरी तरह हार गई थी लेकिन कड़ी फाइट इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच देखने को मिल सकती है।