Etawah Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी तैयारियों में अपनी ताकत झोंकना शुरु कर दी है. सभी दलों की नजर यूपी पर है, वजह है 80 लोकसभा सीट.जिस पर हर एक दल अपनी धाक जमाने में लगा हुआ है. जिस भी दल की धाक जम गई, उसके लिए दिल्ली की राह भी आसान हो गई. ऐसे में यूपी में कुछ सीटें ऐसी भी हैं जिनका राजनीति में बोल-बाला रहा है. कुछ ऐसी ही है यूपी की इटावा सीट..जिससे प्राइम टीवी आज आपको रुबरु कराएगा,आखिर वहां किसका बोल-बाला रहा.आगामी चुनाव में कौन सा दल अपनी धाक जमाएगा?
बताते चले कि इटावा करीब चार दशक से प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किए हुए हैं.इटावा के सैफई गांव से निकले एक पहलवान ने प्रदेश के राजनीतिक दिग्गजों को चुनावी मैदान में पछाड़ा तो जिले का रुतबा काफी बढ़ गया. वहीं एक बार फिर से दिग्गज चुनावी अखाड़े में उतर चुके है.इस बार का रण बेहद ही दिलचस्प होने वाला है.ऐसे में नजर डालते हैं इस सीट के इतिहास पर…
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‘24’ के दंगल में कौन करेगा चढ़ाई ?
यूपी की 80 सीटों में इटावा की सीट भी बेहद महत्वपूर्ण है.लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों ने पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दिया है.यूपी की चर्चित सीट इटावा में भाजपा,सपा और बसपा ने तैयारी शुरू कर दी है.भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर सियासी समीकरण के लिए विपक्षी पार्टियां लगी हैं तो बीजेपी भी मजबूती से बने रहने की जुगत में लगी हुई है.दरअसल, इटावा लोकसभा सीट से कई दिग्गज सांसद बन चुके हैं.एक बार फिर से चुनावी बिगुल फूंक चुका है…सभी पार्टियां अपना दमखम बिखेरने को बेताब नजर आ रही है.वहीं बीजेपी विकास का मुद्दा लेकर चुनावी मैदान में है.वहीं इस बार डॉ. रामशंकर कठेरिया पर दांव चला है.
कब कौन रहा सांसद?
लोकसभा चुनाव में इटावा की सीट पर काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता है.जहां साल 1957 में भदौरिया सोशलिस्ट पार्टीसे अर्जुन सिंह सांसद बने थे.बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम कई जगह से चुनाव लड़े लेकिन सिर्फ इटावा से ही लोकसभा का चुनाव जीत सके थे.प्रदेश की सरकार में कई बार मंत्री रही सुखदा मिश्रा इटावा की सांसद रही हैं. इसके साथ ही आजादी की लड़ाई के योद्धा कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया इटावा से तीन बार सांसद चुने गए.सपा के रघुराज सिंह शाक्य ने लगातार दो बार सांसद का चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया है.
उनके अलावा कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार इटावा से चुनाव नहीं जीत पाया है.यहीं नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के जाने-माने वकील श्रीशंकर तिवारी भी इटावा के सांसद रहे हैं.2014 में भाजपा के अशोक दोहरे चुनाव जीते थे.सपा के प्रेमदास कठेरिया दूसरे नंबर पर रहे बसपा के अजय कुमार तीसरे नंबर पर रहे.2019 के चुनाव में भाजपा के डॉ राम शंकर कठेरिया चुनाव जीते थे.सपा के कमलेश कठेरिया दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आए अशोक दोहरे को टिकट दिया और वे तीसरे स्थान पर रहे.बसपा ने प्रत्याशी नहीं लड़ाया था.सपा प्रत्याशी को समर्थन था.
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पिछले लोकसभा चुनाव का परिणाम
साल- 2014
प्रत्याशी वोट वोट%
अशोक कुमार दोहरे (बीजेपी) 438762 46.80%
प्रेमदास कठेरिया (सपा) 266321 28. 40%
साल- 2019
प्रत्याशी वोट वोट%
डॉ. रामशंकर कठेरिया (बीजेपी) 519674 51.10%
कमलेश कुमार (सपा) 455957 44.80%
इटावा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलित मतदाता है. ब्राह्मण मतदाताओं की भी संख्या अधिक है.ओबीसी में लोधी मतदाता सबसे ज्यादा है. इसके बाद यादव शाक्य और पाल मतदाताओं का नंबर आता है.दलित मतदाताओं की संख्या यहां करीब 4.50 लाख है.इसके अलावा एक अनुमान के मुताबिक यहां 2 लाख 50 हजार ब्राहम्ण मतदाता हैं.
इटावा का ‘जाति समीकरण’
- दलित- 4.50 लाख लगभग
- ब्राह्मण- 2.50 लाख लगभग
- क्षत्रिय- 1.25 लाख लगभग
- यादव- 2.25 लाख लगभग
- लोधी- 1.20 लाख लगभग
- पाल बघेल- 1.10 लाख लगभग
- अल्पसंख्यक- 1.25 लाख लगभग
- वैश्य- 90 हजार लगभग
लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की रणनीति तैयार हो चुकी है.भारतीय जनता पार्टी ने इस बार डॉ. रामशंकर कठेरिया पर दांव चला है.इस सीट को बीजेपी के खाते से निकाल पाना विपक्ष के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है.वहीं देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की जंग में कौन बाजी मारता है.
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