Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti : आज हम जिस विशाल देश में रहकर जिसकी कल्पना करते है। यह कल्पना सरदार वल्लभ भाई पटेल के बिना अधूरी है, क्योंकि देश की आजादी को लेकर इन्होंने बहुत से कार्य किए थे। आज हमारे देश में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है, और इस दिन को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल हमारे देश के पहले उप प्रधानमंत्री थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के दिन यानि 31 अक्टूबर को हर साल नेशनल यूनिटी डे के रूप में मनाया जाता है। इस साल सरदार वल्लभ भाई पटेल की 148 वीं जयंती मनाई जा रही है। इनकी जयंती के उपलक्ष में आइए आपको वल्लभ भाई पटेल के जीवन से जुडे कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं।
महात्मा गांधी ने दी थी लौह पुरुष की उपाधि
सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से बुलाया जाता है। जिसकी उपाधि महात्मा गांधी के द्वारा दी गई थी, क्योंकि आजादी के समय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपना पूर्ण सहयोग दिया था, इसलिए इन्हें लौह पुरुष कहां जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने शराब, छुआछुत और नारियों पर अत्याचार के खिलाफ बहुत लड़ाई लड़ी थी, और देश में एकता बनाए रखने के लिए उन्होंने पूरी कोशिश की, आजादी के दौरान वह कई बार जेल भी गए लेकिन वल्लभ जी के हिम्मत और दृढ़ता के सामने कोई खड़ा नहीं हो सका इस वजह से अंग्रेजी हुकूमत को वल्लभ जी के सामने झुकना ही पड़ा।
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गुजरात में हुआ था सरदार पटेल का जन्म
देश के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के खेड़ा जिले में 31 अक्तूबर को हुआ था। इनका जन्म गुजरात के किसान परिवार के घर में हुआ था। यह अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर भविष्य में खास बन गए। देश के आजादी व भलाई के लिए उन्होंने बहुत से कार्य किए थे। इनकी हिम्मत और दृढ़ता के लिए आज भी इन्हें याद किया जाता है।
महिलाओं ने दी “सरदार” की उपाधि
सरदार पटेल का विवाह 1891 में झवेरबा पटेल से हुआ था। उस समय उनकी उम्र महज 16 साल की थी। विवाह के बाद 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक पास की थी। पटेल का बचपन से सपना था कि वह एक बैरिस्टर बने और इंग्लैंड से पढ़ाई करें।बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी
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एकता के लिए किए कई कार्य
भारत की एकता के बनाए रखने के लिए लौह पुरुष ने बहुत से कार्य किए। आपको बता दें कि अंग्रेजो से आजद हुई 565 रियासतों में से लगभग सारी रियासतों को भारत संघ में शामिल होने के लिए राजी करने का काम किया था।
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