Kisan Andolan: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) को खोलने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, यानी हाईकोर्ट (HC) के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। इससे पहले, 10 जुलाई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को सात दिनों के भीतर शंभू बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाने का आदेश दिया था।
स्वतंत्र कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक स्वतंत्र कमेटी के गठन का निर्देश दिया है। इस कमेटी में किसान संगठनों, सामाजिक संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। कमेटी का मुख्य उद्देश्य प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच संवाद स्थापित कर इस मुद्दे का समाधान ढूंढना होगा।
किसान आंदोलन पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा और पंजाब बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के मामले पर सुनवाई हुई। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के बॉर्डर खोलने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि दोनों सरकारों को यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए, ताकि शंभू बॉर्डर पर स्थिति और न बिगड़े।
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किसानों और सरकार के बीच विश्वास की कमी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच विश्वास की कमी है, जिसे दूर करने के लिए ‘तटस्थ मध्यस्थ’ की जरूरत है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि सरकार को किसानों तक पहुंचने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे।
सॉलिसिटर जनरल का तर्क
हरियाणा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे भी जनता की असुविधा से चिंतित हैं, लेकिन वहां अभी भी 500 से अधिक प्रदर्शनकारी मौजूद हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि राज्य सरकार को कोई न कोई समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता की परेशानियों को देखते हुए सरकार को किसानों तक पहुंचने के लिए ठोस पहल करनी चाहिए।
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भविष्य की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर उचित निर्देश लिए जाएं। तब तक शंभू बॉर्डर पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। शीर्ष अदालत हरियाणा सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को एक सप्ताह के भीतर शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया था, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।
यह विवाद दिखाता है कि किसानों और सरकार के बीच संवाद की कितनी आवश्यकता है। किसानों की मांगों और समस्याओं को समझने के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का कमेटी गठन करने का निर्देश सही दिशा में एक कदम है, जिससे दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित हो सकेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार और किसान दोनों अपने रुख में लचीलापन दिखाएं ताकि एक समग्र और स्थायी समाधान निकाला जा सके।
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